
नई दिल्ली । कांग्रेस (Congress) ने गुरुवार को कहा कि अडानी-हिंडनबर्ग मामले में (In the Adani-Hindenburg Case) केवल संयुक्त संसदीय समिति (Only Joint Parliamentary Committee) ही घोटाले की जांच कर सकती है (Can Probe the Scam), क्योंकि पूरे मामले में (Because in the Whole) राजनीतिक-कॉर्पोरेट गठजोड़ है (Political-Corporate Nexus) । कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, यह दो प्रमुख अभिनेताओं द्वारा शुरू की गई एक कवायद है…सरकार और अडानी समूह, जो सभी वास्तविक जांच को कवर करने, टालने, बचने और दफनाने के लिए मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित समिति अडानी समूह के सत्तारूढ़ शासन के साथ संबंधों की किसी भी वास्तविक जांच को रोकने के लिए इन निहित स्वार्थो द्वारा सावधानीपूर्वक आयोजित अभ्यास का एक हिस्सा है। यह इस तथ्य से समर्थित है कि सॉलिसिटर जनरल ने समाचार रिपोर्ट के अनुसार सुझाव दिया था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के विचार के लिए समिति के लिए सीलबंद लिफाफे में नाम देगी।
उन्होंने कहा कि इन आरोपों की प्रकृति, अडानी और सत्तारूढ़ शासन के बीच की कड़ी जनता के प्रति जवाबदेह निर्वाचित अधिकारियों द्वारा दिन में जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि, 13 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अडानी-हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद नियामक व्यवस्था की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति के गठन पर चर्चा की।
“विशेषज्ञों द्वारा विनियामक और वैधानिक शासन का मूल्यांकन किसी भी तरह से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच के बराबर नहीं है। ऐसी समिति राजनीतिक-कॉर्पोरेट गठजोड़ की गहन जांच का विकल्प नहीं हो सकती है। जो पिछले दो हफ्तों में प्रकाश में आया है। विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों की जांच करने के लिए उसके पास अधिकार, संसाधन या अधिकार क्षेत्र नहीं है।” उन्होंने कहा, अगर प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना है तो जेपीसी के अलावा कोई भी समिति वैधीकरण और दोषमुक्ति की कवायद के अलावा और कुछ नहीं होगी।
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