तेहरान। पश्चिम एशिया (West Asia) में तनाव चरम पर है। इज़रायली हमले में स्टाफ चीफ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी (General Mohammad Bagheri) की हत्या के बाद ईरान के सुप्रीम लीडर आयातुल्ला अली ख़ामेनेई (Ayatollah Ali Khamenei) ने अब्दोलरहीम मूसावी को नए चीफ ऑफ स्टाफ की जिम्मेदारी सौंपी है। वे अब सीधे तौर पर ईरान की सभी सशस्त्र सेनाओं का नेतृत्व करेंगे। मूसावी पहले भी सेना के कमांडर रह चुके हैं और उनका नाम कठोर राष्ट्रवादी रुख, इजरायल विरोधी बयानों और युद्ध की भाषा बोलने के लिए जाना जाता है।
कौन हैं मूसावी और कितनी जंग लड़ चुके
1960 में ईरान के क़ोम शहर में जन्मे मेजर जनरल अब्दोलरहीम मूसावी ने 1979 में ईरानी सेना में अपनी सेवा की शुरुआत की। वे ईरान-इराक युद्ध (1980–1988) में सक्रिय रूप से शामिल रहे और यहीं से उनके सैन्य करियर को मजबूती मिली। वर्ष 2005 से 2016 तक वे सेना में द्वितीय प्रमुख के पद पर रहे, इसके बाद 2016–2017 के दौरान चीफ ऑफ स्टाफ के उप-प्रमुख बने। 2017 से वे ईरानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्यरत हैं और अब बाघेरी की मौत के बाद उन्हें समूची सशस्त्र सेनाओं का प्रमुख नियुक्त किया गया है।
इज़रायल को मिटा देने की धमकी
मूसावी कट्टर इस्लामिक सोच के व्यक्ति माने जाते हैं। उन्होंने कई मौकों पर इजरायल को मिटा देने की धमकी दी है। 2024 में गाजा संघर्ष के दौरान उन्होंने कहा था –”जायोनिस्ट शासन बहुत जल्द अपने पतन की ओर बढ़ेगा। यह हम तय करेंगे कि युद्ध कब और कैसे खत्म होगा।” हाल ही में एक और बयान में उन्होंने कहा था “अगर इजरायल ने कोई मूर्खता की, तो उसे फौरन ऐसा जवाब मिलेगा जिसे वह कभी भूल नहीं पाएगा।”
कट्टर सैन्य सोच के प्रतीक
मूसावी का झुकाव रेवोल्यूशनरी गार्ड्स की विचारधारा की ओर अधिक माना जाता है, भले ही वह पारंपरिक सेना में हों। वे पैलेस्टिनियन रेज़िस्टेंस ग्रुप्स के खुले समर्थक रहे हैं और ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव को मजबूत करने के पक्षधर हैं। इजरायल के साथ बढ़ते टकराव और अंदरुनी उथल-पुथल के बीच ईरान ने मूसावी को कमान सौंपकर एक स्पष्ट संदेश दिया है कि वह सैन्य मोर्चे पर अब और आक्रामक रुख अपनाने जा रहा है। मूसावी जैसे व्यक्ति की नियुक्ति, जिनके बयान युद्ध की भाषा बोलते हैं, आने वाले समय में मध्य पूर्व को और अस्थिर कर सकती है।
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