
नई दिल्ली। देश के प्रमुख हवाईअड्डों (Airports) पर विमानों (Aircraft) के जीपीएस सिस्टम (GPS System) में हस्तक्षेप की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि नवंबर 2023 से नवंबर 2025 के बीच ऐसे 1,951 मामले दर्ज किए गए, जो विमानन सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय बन रहे हैं।
नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल ने बताया कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अमृतसर, हैदराबाद, बंगलूरू और चेन्नई जैसे बड़े हवाईअड्डों पर जीपीएस स्पूफिंग और इंटरफेरेंस की घटनाएं बढ़ी हैं। डीजीसीए ने 24 नवंबर 2023 को जीएनएसएस इंटरफेरेंस पर परामर्श जारी किया, जिसके बाद इस तरह की रिपोर्टिंग शुरू हुई।
मोहोल ने कहा कि डीजीसीए के सर्कुलर जारी होने के बाद ही व्यवस्थित रूप से ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग शुरू हुई और दो साल में कुल 1,951 घटनाएं दर्ज हुईं। जीपीएस/जीएनएसएस स्पूफिंग में गलत संकेत भेजकर विमान के नेविगेशन सिस्टम को भ्रमित करने की कोशिश की जाती है, जो उड़ान सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।
अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन ने जीएनएसएस स्पूफिंग को रेडियो फ्रीक्वेंसी इंटरफेरेंस का हिस्सा बताया है। वॉयरलेस मॉनिटरिंग ऑर्गनाइजेशन इस मामले की जांच कर रहा है ताकि इन घटनाओं की जड़ तक पहुंचा जा सके और भविष्य में रोकथाम की रणनीति बनाई जा सके।
डीजीसीए ने 10 नवंबर को दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास वास्तविक समय में जीपीएस स्पूफिंग और जीएनएसएस इंटरफेरेंस रिपोर्टिंग के लिए एक विशेष एसओपी जारी किया। इसका उद्देश्य पायलटों और एटीसी को तुरंत जानकारी देना और किसी भी संभावित खतरे को समय रहते टालना है।
आईसीएओ के जीएनएसएस मैनुअल में रोकथाम और राहत से जुड़े उपाय बताए गए हैं, जिसमें लगातार मॉनिटरिंग, जोखिम आकलन, खतरे की पहचान और सुरक्षा अवरोधों की तैनाती शामिल है। सरकार का कहना है कि सभी बड़े हवाईअड्डों पर इन दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है ताकि विमान सुरक्षा पर कोई खतरा न आए।

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