
डेस्क। फ्रांस (France) के निचले सदन नेशनल असेंबली (Lower House, National Assembly) ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक विधेयक (Historic Bill) को मंजूरी दे दी। इस विधेयक के तहत फ्रांस में लाइलाज बीमारियों (Incurable Diseases) से ग्रस्त व्यस्क लोगों (Adults Suffering) को मौत (Death) चुनने का अधिकार मिलेगा। यूरोप में लंबे समय से मौत चुनने के अधिकार को कानूनी करने की मांग उठ रही हैं। फ्रांस में भी लंबे समय से ऐसी मांग की जा रही है और महीनों से इस पर संसद में चर्चा में चल रही है। लंबी चर्चा के बाद मंगलवार को नेशनल असेंबली ने इसकी मंजूरी दे दी। अब इस विधेयक को उच्च सदन सीनेट में पेश किया जाएगा।
प्रस्तावित विधेयक में जहां गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को मौत का विकल्प चुनने की मंजूरी दी गई है, वहीं इसके साथ कड़ी शर्तें भी लगाई गई हैं। शर्तों के तहत लाइलाज बीमारी होने पर मरीज को खुद ही जहर लेना होगा, लेकिन अगर वह खुद इस स्थिति में नहीं है कि खुद अपनी जान ले सके तो उस स्थिति में डॉक्टर या नर्स की मदद से व्यक्ति को जहर दिया जा सकेगा। विधेयक के तहत मौत का विकल्प चुनने के लिए मरीज का कम से कम 18 साल का होना जरूरी है। साथ ही उसका फ्रांस का नागरिक होना भी जरूरी है।
मौत का विकल्प चुनने से पहले स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम यह सत्यापित करेगी कि व्यक्ति लाइलाज बीमारी से ग्रस्त है और उसका कोई इलाज नहीं है। साथ ही मरीज असहनीय पीड़ा से गुजर रहा है। इस सत्यापन के बाद ही मौत चुनने का विकल्प मिलेगा। मानसिक रोगियों को मौत चुनने के विकल्प से बाहर रखा गया है। विधेयक के तहत बीमार व्यक्ति को अगर जान देने की अनुमति मिल जाती है तो वह अपने घर, नर्सिंग होम या स्वास्थ्य केंद्र में जानलेवा दवाई या जहर ले सकेगा।
फ्रांस में बीते 20 वर्षों से मौत का विकल्प चुनने का अधिकार देने की मांग की जा रही है। बीते महीने राष्ट्रपति मैक्रों ने सुझाव दिया था कि अगर यह विधेयक संसद में फंसा रहता है और इसे मंजूरी नहीं मिल पाती है तो वे फ्रांस के मतदाताओं से पूछकर एक जनमत के जरिए भी इस विधेयक को मंजूर कर सकते हैं।
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