
नई दिल्ली । भारत और अमेरिका(India and America) ने नई 10-वर्षीय रक्षा साझेदारी पर हस्ताक्षर(Defence partnership signed) करने तथा प्रमुख हथियारों के सह-उत्पादन(Co-production of major weapons) को जारी रखने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन भी किया। दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सेनाओं की विदेशी तैनाती को समर्थन देने और उसे बनाए रखने के लिए नई राह खोलने का संकल्प जताया, जिसमें सुरक्षा साजो-सामान और खुफिया जानकारी साझा करना भी शामिल है।
‘जैवलिन’ ‘एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों’ और पैदल सेना के बख्तरबंद वाहन ‘स्ट्राइकर’ के लिए नई खरीद एवं सह-उत्पादन व्यवस्था को आगे बढ़ाने की योजना की घोषणा की। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘ऑटोनोमस सिस्टम्स इंडस्ट्री अलायंस’ (एएसआईए) की भी घोषणा की।
उन्नत प्रशिक्षण, अभ्यास और संचालन के माध्यम से सभी क्षेत्रों वायु, भूमि, समुद्र, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस में सैन्य सहयोग बढ़ाने का भी संकल्प लिया। वायु रक्षा, मिसाइल, समुद्री रक्षा प्रौद्योगिकियों में सहयोग में तेजी लाएंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को एफ-35 लड़ाकू विमान देने की पेशकश की है। रक्षा क्षेत्र में इसे बड़ी छलांग माना जा रहा है।
सैन्य ताकत बढ़ेगी
अमेरिका से छह अतिरिक्त पी-8आई लंबी दूरी की समुद्री निगरानी एवं पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान खरीदेगा। भारतीय नौसेना के पास पहले से ही 11 पी-8आई विमान हैं।
लड़ाकू विमान की खासियत
एफ-35 का पूरा नाम एफ-35 लाइटनिंग 2 है। यह पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ (रडार से बच निकलने वाला) लड़ाकू विमान है। यह हर मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है। इसमें एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, ओपन आर्किटेक्चर, सेंसर और सूचना इकट्ठा करने के लिए की उपकरण लगे हैं। यह लंबी दूरी पर भी दुश्मनों का पता लगा सकता है और उन्हें नष्ट कर सकता है।
संचालन महंगा
रक्षा विशेषज्ञों के अुसार एफ-35 की तकनीक और रखरखाव पर हर उड़ान घंटे की लागत करीब 36 हजार डॉलर है।
भारत के पास फिलहाल राफेल
भारत के पास फिलहाल राफेल लड़ाकू विमान है जो 4.5 पीढ़ी का है। राफेल हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों जगह युद्ध करने में सक्षम है। राफेल की कीमत लगभग 11-12 करोड़ डॉलर प्रति यूनिट है। एफ-35 के विपरीत, राफेल में उन्नत स्टील्थ तकनीक नहीं है।
असैन्य परमाणु सहयोग को बढ़ाने पर सहमत
मोदी-ट्रंप ने 16 साल पहले दोनों देशों के बीच हुए ऐतिहासिक असैन्य परमाणु समझौते पर आगे बढ़ने का संकल्प लिया। इसके तहत भारत में अमेरिकी डिजाइन वाले परमाणु रिएक्टरों के निर्माण को सुविधाजनक बनाने की दिशा में काम होगा। दोनों नेताओं ने वार्ता में ऊर्जा सहयोग को उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ाने का फैसला किया।
F-35 अमेरिका के बेहतरीन फाइटर प्लेन्स में गिना जाता है. हालांकि, इससे पहले कई मौकों पर ट्रंप के सहयोगी और दुनिया के टॉप कारोबारी एलन मस्क इस फाइटर प्लेन को लेकर सवाल भी उठा चुके हैं. मस्क ने एक बार इस फाइटर प्लेन को महंगा कबाड़ तक कह दिया था.
क्रैश होने का खतरा
दुनिया का सबसे खतरनाक स्टेल्थ फाइटर जेट F-35 कई बार क्रैश हो चुका है. एक विमान गिरने पर अमेरिका को करीब 832 करोड़ रुपए का नुकसान होता. यह अमेरिका का सबसे महंगे जेट प्रोग्राम का विमान था. पिछले साल न्यू मेक्सिको के अल्बुकर्क इंटरनेशनल एयरपोर्ट से टेकऑफ करते ही अमेरिकी एयरफोर्स का F-35 लाइटनिंग-2 स्टेल्थ फाइटर जेट क्रैश हो गया. इससे पहले साउथ कैरोलिना में ऐसा ही एक फाइटर जेट लापता हो गया था. जो बाद में एक घर के पीछे क्रैश मिला. इसका मलबा साउथ कैरोलिना के ज्वाइंट बेस चार्ल्सटन से 96 KM दूर विलियम्सबर्ग काउंटी में मिला.
इस फाइटर जेट की खासियत
अमेरिका के लापता फाइटर जेट का पूरा नाम है F-35 लाइटनिंग 2. यह हर मौसम में उड़ान भरने वाला स्टेल्थ मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है. यह एयरसुपीरियरिटी और स्ट्राइक मिशन के लिए बनाया गया है. यह इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, जासूसी, सर्विलांस, रीकॉन्सेंस जैसे मिशन को भी पूरा कर सकता है.
तीन वैरिएंट मौजूद हैं- पहला कन्वेंशनल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग (CTOL). इसे F-35A कहते हैं. दूसरा है शॉर्ट टेक-ऑफ एंड वर्टिकल लैंडिंग (STOVL). इसे F-35B कहते हैं. तीसरा है- कैरियर बैस्ड. यानी F-35C. इसे अमेरिका का लॉकहीड मार्टिन कंपनी बनाती है. तीनों की कीमत 80 से 150 मिलियन डॉलर है. यानी 694 से 1303 करोड़ रुपए है.
गति और छिपकर हमला इसकी ताकत
इसे एक ही पायलट उड़ाता है. लंबाई 51.4 फीट, विंगस्पैन 35 फीट और ऊंचाई 14.4 फीट है. अधिकतम गति 1976 KM/घंटा है. कॉम्बैट रेंज 1239 KM है. अधिकतम 50 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसमें 4 बैरल वाली 25 मिमी की रोटरी कैनन लगी है. जो एक मिनट में 180 गोलियां दागती है.
इसमें चार अंदरूनी और छह बाहरी हार्डप्वाइंट्स हैं. हवा से हवा, हवा से सतह, हवा से शिप और एंटी-शिप मिसाइलें तैनात की जा सकती है. इसके अलावा चार तरीके के बम लगाए जा सकते हैं.
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