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इजरायल से बड़ी संख्‍या में रैम्पेज मिसाइलें खरीदेगा भारत, पाक के एयरबेस उड़ाने में थी अहम भूमिका

August 23, 2025

नई दिल्‍ली । पाकिस्तान (Pakistan) के हवाई अड्डों (Airports) और आतंकवादी मुख्यालयों (Terrorist Headquarters) पर सफल हमले के बाद भारतीय वायुसेना (IAF) ने इजरायल (Israeli) से रैम्पेज मिसाइलों (Rampage Missiles) की बड़ी संख्या में खरीद के लिए ऑर्डर देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ये हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइले हैं। बता दें कि रैम्पेज मिसाइलों को भारतीय वायुसेना में हाई स्पीड लो ड्रैग-मार्क 2 मिसाइल के नाम से जाना जाता है। इनको पहले से ही सुखोई-30 एमकेआई, जगुआर और मिग-29 लड़ाकू विमान बेड़े के साथ जोड़ा जा चुका है।

रक्षा सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि ये मिसाइलें आपातकालीन खरीद प्रक्रिया (फास्ट ट्रैक प्रोसीजर) के तहत बड़ी संख्या में खरीदी जा रही हैं और जल्द ही ऑर्डर देने की संभावना है। रैम्पेज मिसाइलों का उपयोग हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किया गया था। इनका इस्तेमाल सुखोई-30 एमकेआई विमानों से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मुरिदके और बहावलपुर में स्थित आतंकवादी मुख्यालयों को अत्यंत सटीकता के साथ नष्ट करने के लिए किया गया।

रैम्पेज एक हाई-स्पीड हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसे भारत ने पहली बार 2020-21 में गलवान घाटी में चीन के साथ संघर्ष के दौरान खरीदा था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस मिसाइल ने पाकिस्तानी क्षेत्रों में बहुत अंदर तक लक्ष्यों को भेदने में शानदार प्रदर्शन किया। सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना अब उन सभी विमान बेड़ों के लिए रैम्पेज मिसाइलों के ऑर्डर दे रही है, जिनके साथ इसे पहले से इंटीग्रेट किया गया है। इसके साथ ही, वायुसेना अन्य विमान बेड़ों में भी इस मिसाइल को शामिल करने की संभावनाओं की तलाश कर रही है।


रैम्पेज मिसाइलों का सुखोई-30 एमकेआई के साथ सफल एकीकरण ने रूसी मूल के इस विमान बेड़े की मारक क्षमता को काफी हद तक बढ़ा दिया है। यह एकीकरण वायुसेना को कई लंबी दूरी की हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों, जैसे कि 400 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल को उपयोग करने की क्षमता प्रदान करता है। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत रैम्पेज मिसाइलों के स्वदेशी उत्पादन की संभावनाओं पर भी विचार कर रही है, जिससे इन मिसाइलों को बड़े पैमाने पर शामिल किया जा सके।

रैम्पेज मिसाइलों के अलावा, भारतीय वायुसेना ने पिछले साल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रॉक्स (क्रिस्टल मेज-2) मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह कदम वायुसेना की बढ़ती सामरिक ताकत और आधुनिक हथियारों को अपनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। रक्षा सूत्रों का कहना है कि रैम्पेज मिसाइलों की खरीद और उनके संभावित स्वदेशी उत्पादन से भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता में और इजाफा होगा, जिससे यह क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए और अधिक सक्षम होगी।

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