
नई दिल्ली । शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के हालिया शिखर सम्मेलन(Summit) के बाद अंतरराष्ट्रीय कूटनीति(International Diplomacy) में एक नया विवाद खड़ा(New controversy arises) हो गया। दरअसल अजरबैजान ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत ने उसके SCO में पूर्ण सदस्यता के आवेदन को रोक दिया है। अजरबैजान का दावा है कि भारत ने यह फैसला पाकिस्तान से उसके करीबी संबंधों के चलते ‘बदला’ लेने की भावना से किया। हालांकि, भारत सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि SCO की सदस्यता प्रक्रिया संगठन के चार्टर और सदस्य देशों की सहमति पर आधारित होती है, न कि किसी द्विपक्षीय दुश्मनी पर। भारत ने अपने मित्र देश आर्मेनिया का भी जिक्र करते हुए कहा है कि उसे भी पूर्ण सदस्य नहीं बनाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
चीन के तियानजिन शहर में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक SCO का 25वां शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित सभी प्रमुख सदस्य देशों के नेता शामिल हुए। SCO के वर्तमान में 10 पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं। इसके अलावा, 14 देश डायलॉग पार्टनर के रूप में जुड़े हैं, जिनमें अजरबैजान भी शामिल है।
अजरबैजान लंबे समय से SCO में पूर्ण सदस्यता की मांग कर रहा था। सम्मेलन के दौरान अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव डायलॉग पार्टनर की हैसियत से मौजूद थे। उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की। लेकिन सम्मेलन के समापन पर किसी नए सदस्य को शामिल करने की घोषणा नहीं हुई। अजरबैजानी मीडिया ने तुरंत भारत पर उंगली उठाई और कहा कि भारत ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर अजरबैजान की सदस्यता को ब्लॉक कर दिया।
भारत का सीधा जवाब
भारत के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि समय की कमी के कारण हाल ही में चीन में हुए शिखर सम्मेलन में आर्मेनिया और अजरबैजान के शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होने के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “इस वर्ष, आर्मेनिया और अजरबैजान दोनों ने सदस्यता के लिए आवेदन प्रस्तुत किए। समय की कमी के कारण, तियानजिन में सदस्य देशों द्वारा इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। यह मामला समूह द्वारा अभी भी विचाराधीन है।” बता दें कि भारत आर्मेनिया का करीबी रक्षा साझेदार है। भारत ने आर्मेनिया को पिनाका रॉकेट सिस्टम, आकाश मिसाइल, स्वाथी वेपन लोकेटिंग रडार और तोपें जैसी सैन्य आपूर्ति की है।
अजरबैजान के आरोप: पाकिस्तान से ‘दोस्ती’ का बदला?
अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने पाकिस्तानी पीएम शरीफ के सामने खुलकर भारत की आलोचना की। उन्होंने कहा, “भारत हमारे देश से शत्रुता का बर्ताव करता है। वैश्विक मंचों पर वह हमसे बदला लेने की कोशिश करता है, क्योंकि अजरबैजान का पाकिस्तान के साथ अच्छा संबंध है।” अलीयेव ने दावा किया कि चीन, रूस और पाकिस्तान ने अजरबैजान की सदस्यता का समर्थन किया था, लेकिन भारत के विरोध के कारण यह संभव नहीं हो सका।
अजरबैजान की मीडिया रिपोर्ट्स में इसे “शंघाई भावना” के खिलाफ बताया। इसके अलावा, राष्ट्रपति अलीयेव ने कहा कि वह पाकिस्तान के साथ अपने “भाईचारे” वाले संबंधों को मजबूत करते रहेंगे, चाहे भारत कितना ही विरोध करे। अजरबैजान और पाकिस्तान के संबंधों की जड़ें गहरी हैं। अजरबैजान ने कई मौकों पर पाकिस्तान का समर्थन किया है। अजरबैजान ने इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान के कश्मीर दावे का समर्थन किया है। वहीं भारत के हालिया आतंकवाद विरोधी अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान अजरबैजान ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। रिपोर्ट्स के अनुसार, अजरबैजान ने तुर्की और चीन के साथ मिलकर पाकिस्तान को सैन्य सहायता भी प्रदान की।
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