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भारत के पहले ट्रांसजेंडर क्लिनिक बंद, मस्क ने कसा तंज- अमेरिकी लोगों के पैसों से यही सब…

March 01, 2025

नई दिल्ली । भारत (India)में ट्रांसजेंडर समुदाय(Transgender Community) के लिए शुरू किए गए पहले तीन क्लिनिक बंद(Clinic closed) हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार अमेरिकी एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (US Agency for International Development) द्वारा दी जाने वाली फंडिंग पर रोक लगने के बाद यह कदम उठाना पड़ा। इस फंडिंग में कटौती से करीब 5,000 लोगों की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी में सभी विदेशी सहायता पर रोक लगा दी थी। यह निर्णय उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत लिया गया, जिसके अंतर्गत अमेरिकी करदाताओं के पैसे से वित्त पोषित सभी परियोजनाओं की समीक्षा की जा रही है।

ट्रंप ने पहले भी USAID द्वारा भारत में “मतदाता जागरूकता” पर 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की आलोचना की थी। भारत सरकार ने पिछले सप्ताह इस मामले की जांच शुरू करने की बात कही थी। इस घटना ने भारत और अमेरिका दोनों में राजनीतिक बहस को जन्म दिया है। ट्रंप के सहयोगी एलन मस्क और रिपब्लिकन सीनेटर जॉन केनेडी ने इस तरह की फंडिंग की आलोचना की है। मस्क ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस खबर पर तंज कसते हुए कहा, “अमेरिकी करदाताओं के पैसों से ये सब हो रहा था।”


बता दें कि इन क्लिनिकों का नाम “मित्र क्लिनिक” था, जो मुख्य रूप से ट्रांसजेंडर समुदाय के डॉक्टरों, काउंसलरों और अन्य कर्मचारियों द्वारा संचालित की जाती थीं। ये क्लिनिक हैदराबाद, कल्याण और पुणे शहरों में स्थित हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन क्लिनिकों ने लगभग 5,000 लोगों को सेवाएं प्रदान कीं, जिनमें हार्मोन थेरेपी, मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, एचआईवी और अन्य यौन संचारित रोगों से संबंधित काउंसलिंग, कानूनी सहायता और सामान्य चिकित्सा देखभाल शामिल है।

एक सूत्र ने बताया कि प्रत्येक क्लिनिक को सालाना करीब 30 लाख रुपये (लगभग 34,338 अमेरिकी डॉलर) की जरूरत थी और इनमें औसतन आठ कर्मचारी कार्यरत थे। फंडिंग बंद होने के बाद अब ये क्लिनिक वैकल्पिक स्रोतों से धन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, USAID ने कुछ जीवन रक्षक गतिविधियों, जैसे एचआईवी से पीड़ित लोगों को एंटीरेट्रोवायरल दवाएं उपलब्ध कराने के लिए छूट दी है। एक सूत्र के अनुसार, क्लिनिक के 10% मरीज एचआईवी से संक्रमित थे।

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