वाशिंगटन (Washington)। आज के दौर में युद्ध के मैदान (battlefield) में सबसे ज्यादा घातक और आधुनिक हथियार (Modern Weapons) के तौर पर ड्रोन को देखा जाने लगा है। सभी देश अपनी सेनाओं में आधुनिक तकनीक से तैयार किए गए ड्रोन शामिल कर रहे हैं तो भला भारत भी चुनिंदा देशों से पीछे कैसे रह सकता है। जल्द ही अमेरिका (US) निर्मित प्रीडेटर ड्रोन (predator drone) भारतीय सेना में शाामिल होने जा रहा है जिसकी गिनती दुनिया के सबसे शक्तिशाली सशस्त्र ड्रोन (powerful armed drone) में होती है। भारतीय सेना में शामिल होने से पाकिस्तान और चीन दोनों की हैकड़ी निकल जाएगी।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौता हो सकता है। इसके तहत भारत को अमेरिका से 18 सशस्त्र प्रीडेटर ड्रोन एमक्यू 9ए (MQ 9A) मिलने जा रहा है। अमेरिका के इस ड्रोन को दुनिया का सबसे शक्तिशाली ड्रोन करार दिया जाता है। इसके आने से हिंद महासागर में भारत की ताकत बढ़ेगी, जिससे चीन की गतिविधियों पर नियंत्रण रखा जा सकेगा. मामले से जुड़े लोगों ने ये जानकारी दी है।
विदित हो कि नौसेना ने पहले 30 ड्रोन की जरूरत बताई थी, जिसके लिए 3 अरब डॉलर की लागत का अनुमान लगाया गया था. हालांकि, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी ने समीक्षा के बाद इसकी संख्या को घटाकर 18 कर दिया था। बीते 3-4 फरवरी को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोवाल अमेरिका दौरे पर थे, जहां भारतीय दूतावास ने अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवन के लिए रात्रिभोज आयोजित किया था। इसमें जनरल एटॉमिक्स के चेयरमैन नील ब्लू और कंपनी के सीईओ डॉ विवेक लाल समेत अन्य शीर्ष सीईओ शामिल हुए थे। डोवाल की इस यात्रा के दौरान ह्वाइट हाउस ने भारत के साथ हाई टेक्नोलॉजी साझेदारी की घोषणा की।
चीन-पाकिस्तान, दोनों के पास ड्रोन
भारत के पड़ोसी चीन और पाकिस्तान, दोनों के पास सशस्त्र ड्रोन हैं, ऐसे में भारतीय सेना को सशस्त्र ड्रोन की आवश्यकता है। भारत ने गुजरात में एक ज्वाइंट वेंचर के तहत इजराइल की मदद से टोही और निगरानी ड्रोन (MALE) बनाने की क्षमता हासिल कर ली है। वहीं भारत के पास अभी दो सी गार्जियन ड्रोन की लीज है जो अगले साल की शुरुआत में समाप्त होने वाली है। हालांकि, इसे बढ़ाए जाने की संभावना है। भारतीय नौसेना ने चीन की गई सैन्य तैयारियों को समझने के लिए चीन के साथ पूरी 3,044 किमी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को स्कैन करने के लिए सी गार्जियन ड्रोन और बोइंग पी 8 आई मल्टी-मिशन विमान का भी इस्तेमाल किया था। प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन 24 घंटे तक 50,000 फीट तक उड़ सकता है। यह हेलफायर हवा से जमीन और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल से लैस है, जो दुश्मन को नेस्तनाबूद कर सकता है।
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