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तरक्की के झंडे गाड़ने को तैयार है भारत, अमेरिकी कंपनी ने लगाया ठप्पा

September 10, 2025

डेस्क: भारत (India) की अर्थव्यवस्था (Economy) ने नए वित्त वर्ष (Financial Year) 2026 की शुरुआत दमदार तरीके से की है. अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी (International Rating Agency) फिच रेटिंग्स ने देश की आर्थिक विकास दर (Growth Rate) का अनुमान अब पहले से बेहतर कर दिया है. पहले जहां ग्रोथ 6.5% रहने की उम्मीद थी, अब इसे बढ़ाकर 6.9% कर दिया गया है. यह बदलाव उन ताज़ा आंकड़ों के बाद किया गया है, जिनमें अप्रैल से जून की तिमाही में भारत की GDP में सालाना आधार पर 7.8% की तेज़ बढ़त दर्ज की गई. पिछली तिमाही में यह ग्रोथ 7.4% थी, यानी अब और सुधार हुआ है. फिच का कहना है कि इस बढ़त के पीछे घरेलू मांग का मजबूत बना रहना और फाइनेंशियल हालात का बेहतर होना बड़ी वजह है.

अप्रैल से जून 2025 की तिमाही के दौरान सर्विस सेक्टर ने अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई. इस दौरान सेवाओं के क्षेत्र में 9.3% की ग्रोथ देखी गई, जो पिछली बार 6.8% थी. सिर्फ सर्विस सेक्टर ही नहीं, प्राइवेट और पब्लिक उपभोग में भी अच्छी-खासी बढ़त देखने को मिली. निजी उपभोग में 7% की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे मांग में स्थिरता और मजबूती का संकेत मिला है. इसका सीधा असर उत्पादन, रोज़गार और कारोबारी गतिविधियों पर पड़ा है.


जहां एक ओर घरेलू मोर्चे पर स्थिति सकारात्मक है, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ परेशानियां भी उभर रही हैं. Fitch ने आगाह किया है कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव भारत की अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकते हैं. अगस्त में अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कुछ उत्पादों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है. हालांकि Fitch को उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच बातचीत के ज़रिए समाधान निकलेगा, लेकिन तब तक यह स्थिति निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है.

रिपोर्ट में इस बात पर भी ज़ोर दिया गया है कि हालिया GST सुधार, जो सितंबर से प्रभावी हुए हैं, उपभोक्ता खर्च में इजाफा कर सकते हैं. इसके चलते वित्त वर्ष 2026 में ग्रोथ को अतिरिक्त मजबूती मिलने की संभावना है. इसी बीच अगस्त महीने में जारी हुआ कंपोजिट PMI इंडेक्स 17 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. इसके अलावा औद्योगिक उत्पादन भी चार महीनों की चोटी पर है. एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि GST कटौती से ग्रोथ को कम से कम 10 बेसिस पॉइंट की अतिरिक्त बढ़त मिल सकती है.

अभी के आंकड़े भले ही उत्साहजनक हों, लेकिन फिच का कहना है कि आने वाले समय में विकास की रफ्तार थोड़ी कम हो सकती है. खास तौर पर वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में ग्रोथ में कुछ सुस्ती आ सकती है. एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2027 में देश की आर्थिक विकास दर घटकर 6.3 फीसदी तक रह सकती है. इसके बाद वित्त वर्ष 2028 में यह और नीचे आकर 6.2 फीसदी के आसपास रहने की संभावना जताई गई है.

हालांकि, फिच की रिपोर्ट में यह भी साफ तौर पर कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था की असली ताकत आगे भी घरेलू मांग ही बनी रहेगी. यानी देश के अंदर लोगों की खरीदारी और खर्च करने की ताकत ही आने वाले सालों में ग्रोथ का बड़ा सहारा बनी रहेगी.

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