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भारत-जापान सामुद्रिक संबंधों को और अधिक मजबूत बनाएंगे, निर्माण-सहयोग पर हुई चर्चा

June 03, 2025

डेस्क: समुद्री क्षेत्रों (Maritime Areas) में लगातार बढ़ते तनाव के बीच भारत (India) और जापान (Japan) दोनों सामुद्रिक संबंधों को और भी अधिक मजबूत करने में लगे हैं. इस मामले में केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) ने ओस्लो में जापान के उप मंत्री टेराडा योशिमीची (Terada Yoshimichi) के साथ द्विपक्षीय वार्ता (Bilateral Talks) की और आपसी सामुद्रिक संबंधों को और भी अधिक मजबूत करने पर सहमति जताई. सोनोवाल ने कहा कि भारत और जापान एक टिकाऊ, परस्पर लाभकारी भविष्य के लिए सामुद्रिक संबंधों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आगे बढ़ेंगे.

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने सोमवार को नॉर्वे के ओस्लो शहर में जापान के अंतरराष्ट्रीय मामले तथा भूमि, इन्फ्रास्ट्रक्चर, परिवहन और पर्यटन मंत्रालय (MLITT) के उप मंत्री टेराडा योशिमीची के साथ द्विपक्षीय स्तर की बैठक की. बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच सामुद्रिक संबंधों को और भी अधिक मजबूत करने, जापानी शिपयार्ड द्वारा निवेश, बंदरगाहों का डिजिटलाइजेशन और हरित बंदरगाह पहल पर सहयोग, अनुसंधान और विकास को लेकर सहयोग बढ़ाने, मानव संसाधनों का कौशल विकास और जापान में भारतीय नाविकों के रोजगार समेत कई अहम मसलों पर चर्चा हुई.


दोनों देशों के मंत्रियों ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप द्वीप समूह को स्मार्ट द्वीप समूह में बदलने को लेकर टिकाऊ प्रौद्योगिकियों, आपदा-रोधी इन्फ्रास्ट्रक्चर और बेहतर कनेक्टिविटी के इस्तेमाल किए जाने पर भी चर्चा की. इस संबंध में सोनोवाल ने कहा, “इस क्षेत्र में जापान की विशेषज्ञता काफी अधिक है. हम अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीप समूह में खासतौर से अक्षय ऊर्जा, स्मार्ट मोबिलिटी सिस्टम और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में संयुक्त प्रयास की गुंजाइश देखते हैं. ये पहल पारिस्थितिकीय संरक्षण और क्षेत्रीय सामुद्रिक सुरक्षा को लेकर हमारी साझा प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाएगी.”

बैठक के दौरान दोनों पक्षों के बीच भारतीय और जापानी शिपयार्ड के ग्रीनफील्ड निवेश जैसे कि आंध्र प्रदेश में इमाबारी शिपबिल्डिंग और अन्य के बीच साझेदारी बढ़ाने पर भी चर्चा हुई. साथ ही स्वच्छ ऊर्जा केंद्रों के रूप में बंदरगाहों और समुद्री औद्योगिक समूहों के एक साथ विकास के लिए आपसी सहयोग को लेकर भी आकलन किया गया. सोनोवाल ने भारतीय यार्डों के साथ संयुक्त उद्यम और सहयोगी व्यवस्था की संभावना तलाशने के लिए जापानी शिपबिल्डिंग कंपनियों इमाबारी शिपबिल्डिंग, जेएमयूसी, कनागावा डॉकयार्ड और मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज जैसी अहम कंपनियों में भारत की रुचि व्यक्त की.

केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा, “जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत के मामले में जापान की विशेषज्ञता जगजाहिर है, और मुझे इस क्षेत्र में सहयोग को लेकर अपार संभावनाएं दिखाई देती हैं. हम जापान की 3 बड़ी सामुद्रिक कंपनियों- एनवाईके लाइन, एमओएल और के लाइन (NYK Line, MOL, and K Line) को भारत के बढ़ते समुद्री क्षेत्र में संयुक्त उद्यम और निवेश के अवसर तलाशने के लिए आमंत्रित करते हैं.”

उन्होंने कहा, “हमारे मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के साथ, भारत का बढ़ता सामुद्रिक उद्योग जापानी शिपयार्डों के लिए भारत में जहाज निर्माण के क्षेत्र में निवेश करने का एक अनूठा मौका देता है. बंदरगाहों के डिजिटलाइजेशन और हरित बंदरगाह पहलों पर सहयोग हमारे समुद्री रसद नेटवर्क और स्थिरता को और मजबूत करेगा.”

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