
डेस्क: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने शनिवार को कहा कि देश में शिक्षा प्रणाली (Education System) औपनिवेशिक विचारों (Colonial Ideas) के दीर्घकालिक प्रभाव में विकसित हुई है और एक विकसित राष्ट्र (Developed Nation) के लिए भारतीय दर्शन (Indian Philosophy) पर आधारित एक विकल्प तैयार करने की आवश्यकता है.
आरएसएस से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की तरफ से आयोजित राष्ट्रीय चिंतन बैठक के दूसरे दिन प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि इसके लिए दृष्टिकोण गंभीर, यथार्थवादी और पूरी तरह भारतीय आधार वाला ही होना चाहिए. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की तरफ से जारी बयान के अनुसार उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उन्हें अपने काम में निपुण होना चाहिए, दूसरों के लिए मिसाल बनना चाहिए और आपसी अच्छे संबंध बनाने चाहिए ताकि सब मिलकर देश को आगे ले जा सकें.
बयान में यह भी कहा गया कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास रविवार शाम को यहां राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन ‘ज्ञान सभा’ का आयोजन करेगा, जिसे भागवत संबोधित करेंगे. संगठन ने एक विज्ञप्ति में कहा कि सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन सोमवार को होगा. एक बयान में संगठन ने दावा किया कि भारतीय दर्शन पर आधारित शिक्षा प्रणाली सामाजिक सुधार और राष्ट्रीय प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगी. यह बयान शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कोठारी ने संगठन की राष्ट्रीय चिंतन बैठक के दूसरे दिन पिरावम के वेल्यानाड में ‘चिन्मय इंटरनेशनल फाउंडेशन’ के मुख्यालय आदि शंकरा निलयम में दिया.
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