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भारत-पाक तनाव के बीच चीन और ईरान को फायदा, अमेरिका को नुकसान, जानिए क्‍या है कारण?

May 08, 2025

नई दिल्‍ली । भारत (India) के ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) से चारों खाने चित्त पाकिस्तान (Pakistan) जवाबी हमले की गीदड़भभकी दे रहा है। उधर, चीन और तुर्की जैसे देश उसके हमदर्द बनकर सामने आए हैं। भारत और पाकिस्तान में सैन्य तनाव ने सीमा पार गोलियों से कहीं आगे का खेल शुरू कर दिया है। दक्षिण एशिया की इस सुलगती जंग के बीच चीन और ईरान (China and Iran) जैसे देशों की रणनीतिक मुस्कान चौड़ी हो रही है, वहीं अमेरिका (America) की कूटनीतिक पकड़ ढीली पड़ती दिख रही है। एक ओर भारत की बढ़ती ताक़त पर ब्रेक लगाने का मौका बीजिंग को मिल रहा है, तो दूसरी ओर तेहरान उस अंतरराष्ट्रीय दबाव से राहत महसूस कर रहा है जो अब वॉशिंगटन की प्राथमिकता नहीं रही। यह संघर्ष अब सिर्फ गोलियों का नहीं, गुटबाजी और प्रभाव की अदृश्य जंग का मैदान बन चुका है। जानें, एक्सपर्ट की राय इस पर क्या कहती है।

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी भारी तनाव न सिर्फ दक्षिण एशिया की शांति व्यवस्था के लिए चुनौती बन गया है, बल्कि इससे वैश्विक कूटनीतिक समीकरणों में भी बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ राजनीति विशेषज्ञ डॉ. आलम सालेह के अनुसार, यह स्थिति चीन और ईरान के लिए रणनीतिक रूप से फायदेमंद, जबकि अमेरिका के लिए नुकसानदेह बनती जा रही है।


भारत की व्यस्तता से चीन को अवसर
अलजजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. सालेह का मानना है कि यदि भारत-पाकिस्तान के बीच यह तनाव लंबा खिंचता है, तो आशंका है कि इससे भारत की ऊर्जा और संसाधन पाकिस्तान से निपटने में ही उलझे रहेंगे। इसका असर भारत की क्षेत्रीय सक्रियता और अमेरिका के साथ बढ़ती साझेदारी पर पड़ सकता है, जिससे चीन दक्षिण एशिया में रणनीतिक बढ़त लेने की कोशिश करेगा। चीन लंबे समय से पाकिस्तान का घनिष्ठ रणनीतिक सहयोगी रहा है और वह भारत की बढ़ती क्षेत्रीय भूमिका को एक चुनौती के रूप में देखता है। ऐसे में भारत का फोकस शिफ्ट होना चीन को एशिया में अपनी पकड़ और मजबूत करने का मौका दे सकता है।

ईरान के लिए डिप्लोमैटिक स्पेस
तनाव की इस स्थिति में एक और भारत और पाकिस्तान दोनों को अपने दोस्त के रूप में देखने वाले ईरान के लिए भी डिप्लोमैटिक स्पेस खुलने के आसार हैं। डॉ. सालेह के अनुसार, अमेरिका पहले ही गाजा और इजरायल के बीच उलझा हुआ है और अब भारत-पाकिस्तान में चल रही हाई टेंशन ने उसे डबल टेंशन दे दी है। ऐसे में उसका ईरान पर दबाव डालने का सामर्थ्य कम हो गया है, खासकर परमाणु वार्ता जैसे संवेदनशील मुद्दों पर। अमेरिकी दबाव के कमजोर होने की स्थिति में ईरान को कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर ज्यादा छूट मिलेगी, जिससे वह क्षेत्रीय स्तर पर अधिक प्रभावशाली भूमिका निभा सकता है।

अमेरिका के लिए उलझन
अमेरिका इस पूरे घटनाक्रम में ‘प्रतिक्रियात्मक स्थिति’ में आ गया है, जहां उसके पास कोई स्पष्ट बढ़त नहीं है। एक ओर भारत उसके लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, वहीं पाकिस्तान भी दशकों पुराना सुरक्षा सहयोगी रहा है, भले ही संबंध जटिल और उतार-चढ़ाव वाले रहे हों। ट्रंप ने हालांकि बुधवार को बयान दिया- वह चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान जितना जल्दी हो सकें, तनाव कम करें। ट्रंप ने मदद की भी पेशकश की।

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