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चीन के पड़ोसी देश मंगोलिया की सेना को विशेष प्रशिक्षण देगा भारत, दोनों के बीच हुआ ऐतिहासिक समझौता

October 16, 2025

नई दिल्‍ली । भारत और मंगोलिया (India and Mongolia) के बीच रक्षा सहयोग (Defence cooperation) को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला एक ऐतिहासिक समझौता मंगलवार को साइन हो गया। इस समझौते के तहत भारत मंगोलिया की सेना को विशेष प्रशिक्षण प्रदान करेगा, जिसमें आधुनिक युद्ध रणनीतियां, संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के लिए तैयारी और साइबर सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। यह कदम न केवल दोनों देशों के बीच सैन्य साझेदारी को मजबूत करेगा, बल्कि चीन जैसे क्षेत्रीय शक्तियों को भी रणनीतिक संदेश देगा। ऐसा माना जा रहा है कि यह समझौता ‘नोमैडिक एलीफेंट’ नामक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास के 18वें संस्करण के बाद विकसित हुआ है, जो जून 2025 में मंगोलिया की राजधानी उलानबातर में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मंगोलिया के राष्ट्रपति हुरेलसुख उखना के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में भारत-मंगोलिया संबंधों को नई दिशा देने वाली कई अहम घोषणाएं कीं। इस दौरान उन्होंने मंगोलिया की सीमा सुरक्षा बलों के लिए एक नया क्षमता-विकास कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और मंगोलिया के संबंध केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और आत्मीय बंधन हैं, जो बौद्ध संस्कृति की साझा विरासत से जुड़े हैं। उन्होंने कहा, “भारत और मंगोलिया का रिश्ता केवल राजनयिक नहीं, बल्कि आत्मीय और आध्यात्मिक बंधन है। यह रिश्ता सदियों से बौद्ध धर्म की डोर से जुड़ा हुआ है, और इसी कारण हम एक-दूसरे के ‘स्पिरिचुअल सिब्लिंग्स’ भी कहलाते हैं।”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भारत और मंगोलिया वैश्विक मंचों पर समान मूल्यों और दृष्टिकोण को साझा करते हैं। पीएम ने कहा, “हमारी वैश्विक दृष्टि साझा मूल्यों पर आधारित है। दोनों देश एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक का समर्थन करते हैं। हम ग्लोबल साउथ की आवाज़ को मजबूत करने के लिए भी मिलकर काम कर रहे हैं।”


मंगोलिया के विकास में भारत भरोसेमंद साझेदार: प्रधानमंत्री मोदी
पीएम मोदी और मंगोलिया के राष्ट्रपति हुरेलसुख उखना ने मंगलवार को विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। बातचीत के दौरान मंगोलिया से भारत को यूरेनियम की संभावित आपूर्ति और द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने के कदमों पर चर्चा की गई। मोदी और उखना की बातचीत के बाद दोनों देशों ने डिजिटल समाधान, खनिज संसाधनों की खोज और त्वरित प्रभाव परियोजनाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग के लिए 10 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

दोनों नेताओं की बातचीत के प्रमुख विषयों में मंगोलिया में भारत की सहायता से 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर की तेल रिफाइनरी परियोजना तथा दोनों देशों के बीच समग्र ऊर्जा संबंधों को बढ़ाने के तरीके शामिल थे। उखना चार दिवसीय भारत यात्रा पर सोमवार को नई दिल्ली पहुंचे। राष्ट्रपति के रूप में यह उनकी पहली भारत यात्रा है।

उखना के साथ बातचीत के बाद मोदी ने कहा कि भारत मंगोलिया के लोगों को मुफ्त ई-वीजा उपलब्ध कराएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत की 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता से कार्यान्वित तेल रिफाइनरी परियोजना मंगोलिया की ऊर्जा सुरक्षा को नयी मजबूती प्रदान करेगी।” उन्होंने कहा कि यह भारत की विश्व में सबसे बड़ी विकास साझेदारी परियोजना है और 2500 से भी अधिक भारतीय पेशेवर मंगोलिया के साथियों के साथ मिलकर इस परियोजना को साकार कर रहें हैं।

मोदी ने कहा, “हम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घनिष्ठ साझेदार के रूप में खड़े हैं और एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करते हैं। साथ मिलकर, हम वैश्विक दक्षिण की आवाज को बुलंद करने के लिए भी काम करते हैं।” वहीं, मंगोलिया के राष्ट्रपति ने स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका की सराहना की तथा विशेष रूप से नयी दिल्ली के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का उल्लेख किया। अपने मीडिया वक्तव्य में मोदी ने यह भी कहा कि भारत और मंगोलिया के बीच संबंध महज कूटनीतिक संबंध से कहीं अधिक है।

चीन के लिए संदेश?
विश्लेषकों का मानना है कि यह समझौता चीन के लिए एक कड़ा संदेश है। मंगोलिया चीन का पड़ोसी होने के बावजूद भारत के साथ सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है, जो भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति का हिस्सा है। इससे न केवल भारत की मंगोलिया में सैन्य और सांस्कृतिक उपस्थिति मजबूत होगी, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन भी बनेगा। एक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ ने कहा, “यह घेराबंदी सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि कूटनीतिक और आध्यात्मिक भी है। भारत मंगोलिया में बौद्ध संस्कृति के माध्यम से भी जुड़ा हुआ है।”

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