
नई दिल्ली । विदेश मंत्री एस. जयशंकर(Foreign Minister S. Jaishankar) ने बुधवार को रूस के पहले उप प्रधानमंत्री (Deputy Prime Minister )डेनिस मांटुरोव(Denis Manturov) से मुलाकात(appointment) के दौरान कहा कि भारत और रूस को अपने व्यापार और निवेश संबंधों की पूरी क्षमता का उपयोग करना होगा। उन्होंने जो देकर कहा कि मौजूदा जटिल भू-राजनीतिक परिस्थितियों में दोनों देशों को नए तरीकों से सोचना और काम करना होगा। जयशंकर इन दिनों दो दिवसीय रूस दौरे पर हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका की ट्रंप प्रशासन ने भारतीय आयात पर 50% तक टैरिफ लगा दिए हैं, जिनमें रूसी तेल पर 25% शुल्क शामिल है।
जयशंकर ने कहा, “पिछले चार वर्षों में भारत-रूस व्यापार पांच गुना बढ़कर 2021 के 13 अरब डॉलर की तुलना में 2024-25 में 68 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। लेकिन इसके साथ ही व्यापार असंतुलन भी गहरा हुआ है, जो 6.6 अरब डॉलर से बढ़कर 58.9 अरब डॉलर हो गया है। इस पर तुरंत काम करने की आवश्यकता है।”
विदेश मंत्री ने टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करने पर जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, नॉर्दर्न सी रूट और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की। भुगतान प्रणाली को सुचारु बनाने पर भी रूस से बात हो रही है। भारत-यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को शीघ्र निष्पादित करना और 2030 तक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को समय पर लागू करने जैसे मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बात हुई।
उन्होंने कहा कि इन पहलों से न केवल व्यापार संतुलन में सुधार होगा बल्कि 2030 तक 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकेगा।
जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के नेता लगातार संपर्क में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस महीने दो बार टेलीफोन पर बातचीत हो चुकी है। मोदी और पुतिन की अगली मुलाकात 31 अगस्त और 1 सितंबर को चीन के तिआनजिन में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में होने की संभावना है।
मांटुरोव के साथ मुलाकात के बाद जयशंकर ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच कृषि, ऊर्जा, उद्योग, शिक्षा, कौशल विकास, गतिशीलता और संस्कृति जैसे क्षेत्रों पर विस्तार से बातचीत हुई।
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