
नई दिल्ली । संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में कश्मीर मुद्दा (Kashmir Issue) उठाकर अपनी बौखलाहट दिखाने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन (President Recep Tayyip Erdogan) को भारत ने अच्छी तरह से लताड़ लगाई है। सरकार ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर पर अपना रुख दृढ़ता से दोहराया और स्पष्ट किया कि यह मामला पूरी तरह से द्विपक्षीय है और इसमें किसी बाहरी पक्ष की भागीदारी की आवश्यकता नहीं है। मीडिया को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस बात पर जोर दिया कि नई दिल्ली के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।
जायसवाल ने जोर देकर कहा, “कश्मीर मुद्दे पर हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है, इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। जहां तक मध्यस्थता का सवाल है, भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई जरूरत नहीं है।” UNGA में अपने संबोधन में, एर्दोगन ने कहा कि तुर्की भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते से खुश है और उन्होंने कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर बातचीत के जरिए सुलझाने पर जोर दिया। यह टिप्पणी इस्लामाबाद के समर्थन में उनके पहले के रुख को दोहराती है, जिसमें पाकिस्तान की उनकी पिछली यात्रा भी शामिल है, जिसकी उस समय भारत ने तीखी आलोचना की थी।
‘आपत्तिजनक टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं’
इस टिप्पणी को खारिज करते हुए, जायसवाल ने अच्छी तरह से सुनाया और कहा, “हम भारत के आंतरिक मामलों पर इस तरह की आपत्तिजनक टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं। हमने तुर्की के राजदूत के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है। भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर इस तरह के अनुचित बयान अस्वीकार्य हैं।” जायसवाल ने यह भी बताया कि जम्मू-कश्मीर की मूल समस्या पाकिस्तान के आचरण से उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा, “बेहतर होता अगर भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल करने की पाकिस्तान की नीति, जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनी हुई है, पर सवाल उठाया जाता।”
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