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भारत ने रूस के साथ की SU-57 लड़ाकू विमान खरीदने पर बातचीत, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को झटका!

February 19, 2025

मॉस्को: डोनाल्ड ट्रंप (donald trump) भारत (India) पर एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट (F-35 Stealth Fighter Jet) के अधिग्रहण के लिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इस बीच रिपोर्ट है कि भारत और रूस (Russia) के बीच एसयू-57 पांचवीं पीढ़ी (SU-57 fighter jets) के लड़ाकू विमान के अधिग्रहण को लेकर बातचीत हुई है। यानि भारत ने साफ कर दिया है कि वो किसी भी प्रेशर के आगे झुकने वाला नहीं है और भारतीय सेना वही फैसला करेगी, जो देशहित में होगी। रिपोर्ट के मुताबिक मॉस्को और दिल्ली के बीच एसयू-57 को लेकर उस वक्त बातचीत की गई है, जब डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत को अमेरिकी एडवांस फिफ्थ जेनरेशन लड़ाकू विमान एफ-35 लाइटनिंग का ऑफर दिया था। चीन और पाकिस्तान लगातार अपनी वायुसेना को एडवांस बनाने के लिए काम कर रहे हैं। पाकिस्तान ने चीन से जे-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान खरीदने की भी घोषणा कर रखी है, लिहाजा भारत पर भी अपने बेड़े में स्टील्थ फाइटर जेट को शामिल करने का प्रेशर है।



अमेरिकी एडवांस F-35 लड़ाकू विमान के विपरीत रूसी Su-57 ही भारत के लिए विकल्प है। भारत को अगर फिफ्थ जेनरेशन लड़ाकू विमान खरीदना है तो इन्हीं दोनों में से किसी एक के साथ जाना होगा। लेकिन अमेरिकी फाइटर जेट हमेशा कई शर्तों के साथ आते हैं। अमेरिका कई सीमाओं में बांधकर उनका सौदा करता है। हम अभी देख ही रहे हैं कि कैसे तेजस फाइटर जेट का इंजन देने में अमेरिका बहानेबाजी कर रहा है। अमेरिकी कभी मानवाधिकार को लेकर मुंह फुलाता है तो कभी जियो-पॉलिटिक्स में भारत से समर्थन नहीं मिलने पर नाराज हो जाता है। ऐसे में एक्सपर्ट्स हमेशा अमेरिकी हथियारों को लेकर सशंकित रहे हैं।

भारत और रूस में Su-57 पर बातचीत
दुनिया में अभी सिर्फ तीन देशों के पास ही स्टील्थ फाइटर हैं। अमेरिका, रूस और चीन। तुर्की भी जल्द ही इस क्लब में शामिल हो जाएगा, जब वो KAAN प्रोजेक्ट को फाइनल कर लेगा। KAAN के तहत तुर्की पांचवीं पीढ़ी के जेट्स का निर्माण कर रहा है और ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि तुर्की में प्रोडक्शन शुरू हो चुका है। दूसरी तरफ अमेरिका अकसर कई मुद्दों को लेकर भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकियां देता आया है। पश्चिमी देश प्रतिबंध को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं और परमाणु परीक्षण के वक्त भारत इसे झेल भी चुका है। भारत और अमेरिका के बीच भले ही रणनीतिक संबंध बन चुके हों, लेकिन अभी भी दोनों देशों के बीच विश्वास भरा रिश्ता नहीं बना है। अलग अलग मौकों पर अमेरिकी सांसद और सीनेटर्स विश्वास भरे रिश्ते की बहाली की बात कर चुके हैं।

दूसरी तरफ इतिहास गवाह रहा है कि रूस भारत का आजमाया हुआ साथी है। भारतीय हथियार बेड़े में अभी भी 60 प्रतिशत से ज्यादा उपकरण रूसी हैं। भारत पहले से ही रूसी फाइटर जेट्स का इस्तेमाल करता आया है। रूस ने आजतक हथियारों को लेकर भारत को शर्तों में नहीं बांधा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ब्रह्मोस मिसाइल है। रूसी टेक्नोलॉजी होने के बावजूद भारत उन देशों को ब्रह्मोस बेच रहा है, जो चीन के दुश्मन हैं, जबकि रूस और चीन भी करीबी रिश्ते में बंधे हैं।

Su-57 लड़ाकू विमान खरीदना कितना मुश्किल?
इस सवाल का जवाब काफी मुश्किल है। भारत और रूस के बीच भले ही Su-57 को लेकर बातचीत हुई हो, लेकिन ये फैसला लेना भारत के लिए आसान नहीं है। एक्सपर्ट्स सलाह दे रहे हैं कि Su-57 को इसके स्टैंडर्ड निर्यात रूप में खरीदा जाए, जैसा कि अल्जीरिया ने किया है। इससे भारत को मौजूदा समय में अपने लड़ाकू बेड़े में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को शामिल करने का मौका मिल जाएगा, खासकर उस वक्त, जब पाकिस्तान ने चीन से नेक्स्ट जेनरेशन लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा कर रखी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि “ऑफ द शेल्फ” खरीदने से अक्सर घरेलू उत्पादन से जुड़ी देरी से बचा जा सकेगा और इस तरह से भारत बहुत जल्दी ही एसयू-57 हासिल कर सकता है। “ऑफ द शेल्फ” का मतलब है कि रूस के बेड़े में जो एसयू-57 शामिल हैं, उसे ही खरीद लो। इसमें नये फाइटर जेट को खरीदने की दिक्कत से बचा जा सकता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत का AMCA कार्यक्रम अभी शुरूआती अवस्था में हैं और उसके निर्माण में कम से कम 10 सालों का वक्त लगेगा। ऐसे में इन 10 सालों के लिए अपनी वायुसेना को मजबूती देने के लिए भारत रूस से बना बनाया एसयू-57 खरीद सकता है। इसके अलावा एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के लिए दूसरा विकल्प लाइसेंस उत्पादन हो सलकता है। यानि भारत अपनी तात्कालिक जरूरतों को ध्यान में रखकर कुछ संख्या में विमानों का निर्माण कर ले और उसके बाद घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ाने पर काम शुरू करे। इससे भारत को विदेशी आयात पर अपनी निर्भरता कम करने और अपनी खुद की डिफेंस इंडस्ट्री बनाने में भी मदद मिलेगी। भारत Su-30MKI लड़ाकू विमान के लिए रूस के साथ इसी तरह का सौदा कर चुका है।

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