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भारत-अमेरिका के सुधरेंगे रिश्ते, तेल पर होगा बड़ा समझौता; न्यू जर्सी के गवर्नर ने की ट्रंप की आलोचना

September 27, 2025

नई दिल्‍ली । अमेरिका(America) के न्यू जर्सी(new Jersey) के गवर्नर और डेमोक्रेटिक पार्टी(Democratic Party) के वरिष्ठ नेता फिल मर्फी(Senior leader Phil Murphy) ने बुधवार को भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों (India-US trade relations)और वीजा मुद्दों पर अपनी राय रखते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति की आलोचना की। मर्फी ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में 50% टैरिफ पर कोई व्यावहारिक समाधान निकलेगा, लेकिन संभव है कि इसमें तेल व्यापार से जुड़ा कोई मोलभाव भी शामिल हो।”


पिछले महीने अमेरिका ने रूस से तेल आयात करने को लेकर भारत पर 25% दंडात्मक टैरिफ लगाया था। इस बीच, भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत की ऊर्जा सुरक्षा में अमेरिका की भूमिका बेहद अहम होगी। अमेरिका भारत का पांचवां सबसे बड़ा कच्चे तेल का आपूर्तिकर्ता और दूसरा सबसे बड़ा एलएनजी सप्लायर है।

फिल मर्फी इन दिनों अपनी पत्नी टैमी मर्फी के साथ छह दिवसीय भारत यात्रा पर हैं। उन्होंने मुंबई में दिए गए एक इंटरव्यू में कहा, “संकेत मिल रहे हैं कि टैरिफ पर कोई न कोई समाधान जल्द मिलेगा। संभव है कि मौजूदा स्थिति से यह कम दंडात्मक होगा। लेकिन लगता है कि इसमें तेल व्यापार पर भी बड़ा समझौता होगा।”

ट्रंप की रूस पर कड़े रुख का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि रूस को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है, लेकिन अपने सहयोगी देशों पर भारी टैरिफ लगाना सही तरीका नहीं है। चीन पर सख्त टिप्पणी करते हुए मर्फी ने कहा, “चीन को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जा सकता। उसे जवाबदेह ठहराना होगा।”

प्रवासी भारतीयों पर चिंता

न्यू जर्सी में बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय रहता है। ऐसे में गवर्नर मर्फी ने H-1B वीजा और छात्र वीजा नीतियों पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हाल की वीजा पॉलिसी गलत दिशा में जा रही है और यह भारतीय छात्रों व पेशेवरों को प्रभावित करेगी। उन्होंने कहा, “H-1B प्रोग्राम को मैं सीमित करने के बजाय और बढ़ाना चाहूंगा। अमेरिका को प्रतिभा चाहिए और भारतीय पेशेवर इसमें अहम योगदान दे सकते हैं।” मर्फी ने स्वीकार किया कि मौजूदा नीतियों से भारतीय छात्रों की संख्या में कमी आ सकती है और वे अन्य देशों की ओर रुख कर सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि अमेरिकी विश्वविद्यालय भारत में साझेदारी मॉडल (जैसे 1+3, 2+2) अपना सकते हैं।

भारत-अमेरिका रिश्तों में हाल के तनाव पर मर्फी ने कहा, “यह लंबी अवधि की समस्या नहीं, बल्कि एक अस्थायी दौर है। हालांकि भरोसा फिर से कायम करना आसान नहीं होगा। मैं स्वभाव से आशावादी हूं और मानता हूं कि भारत और अमेरिका के बीच गहरे संबंधों को संभाला जा सकता है।” उन्होंने कहा कि “छात्र वीजा व्यवस्था में सुधार होना चाहिए और यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है। इन सबका बहुत कुछ इस पर निर्भर है कि अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होता है।”

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