
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में भारत (India) ने कहा है कि, वैश्विक खाद्य सुरक्षा (global food security) को आगे बढ़ाने में भारत अपनी उचित भूमिका निभाएगा। सुरक्षा परिषद में भारत की प्रथम सचिव (first secretary of india) स्नेहा दुबे (Sneha Dubey) ने कहा, वैश्विक खाद्य सुरक्षा के साथ समानता बनाए रखने व सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में भी भारत उचित भूमिका निभाएगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्नेहा दुबे ने कहा, यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को नहीं रोका गया तो अर्थव्यवस्था में इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा, नई दिल्ली दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य-आधारित सुरक्षा कार्यक्रम चला रहा है, जिसने कल्याण से अधिकार-आधारित दृष्टिकोण में एक आदर्श बदलाव देखा है।
उन्होंने कहा, कोविड-19 के दौरान जरूरतमंदों को लक्ष्य बनाकर भारत सरकार ने 80 करोड़ लोगों को खाद्य सहायता पहुंचाने का काम किया, वहीं, 40 करोड़ लोगों को नगद ट्रांसफर किया गया। प्रथम सचिव ने कहा, हमने महिलाओं, बच्चों व कमजोर लोगों के लिए पोषण अभियान भी शुरू किया है।
अफगानिस्तान को गेहूं दान कर रहा है भारत
अफगानिस्तान में बिगड़ती मानवीय स्थिति को देखते हुए भारत अफगानिस्तानी लोगों को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं दान कर रहा है। भारत ने म्यांमार के लिए 10,000 टन चावल-गेहूं के अनुदान के साथ मानवीय समर्थन जारी रखा है। हम इस कठिन दौर में भी श्रीलंका की खाद्य व जरूरी मदद कर रहे हैं।
वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध
भारत ने पिछले तीन महीनों में यमन को 250,000 टन से अधिक गेहूं का निर्यात किया है। स्नेहा दुबे ने कहा कि भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है और वर्षों से विभिन्न मानवीय संकटों के जवाब में संयुक्त राष्ट्र के केंद्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया कोष (सीईआरएफ) और यूएनओसीएचए में भी योगदान दिया है।
गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी
भारत ने स्पष्ट किया कि यदि यूक्रेन में जारी संकट को तुरंत बातचीत के माध्यम से हल नहीं किया गया तो वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे। ये नतीजे 2030 तक खाद्य सुरक्षा हासिल करने और भूख मिटाने के प्रयासों को पटरी से उतार देंगे।
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