
नई दिल्ली। भारत दूसरे देशों के साथ व्यापक चर्चा के बाद क्रिप्टोकरेंसी पर निगरानी रखने के लिए नियमनों को लागू करने पर फैसला करेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। साथ ही, जोखिम वाली ऐसी संपत्तियों पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया।
जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) ने पिछले सप्ताह क्रिप्टोकरेंसी के जोखिमों से निपटने के लिए एक समन्वित वैश्विक नीति पर जोर दिया था। एफएसबी ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए। साथ ही, आईएमएफ और एफएसबी ने रोडमैप बनाने के साथ कम सख्त नियम बनाने का सुझाव दिया है।
अधिकारी ने कहा, जी-20 के नेताओं ने एफएसबी की सिफारिशों का समर्थन कर दिया है। अब मंत्री व सरकारें चर्चा कर इसे आगे बढ़ाएंगी। हम उम्मीद करते हैं कि सिफारिशों को तेजी से और व्यापक तरीके से लागू करने के तरीकों पर काफी चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि भारत के पास फैसला करने और आगे बढ़ने के लिए एक अच्छा ढांचा है। देश इस दिशा में कितना आगे जाना चाहता है, यह आने वाले महीनों में तय किया जाएगा। भारत कर चोरी और धन की हेराफेरी से निपटने के लिए क्रिप्टोकरेंसी पर वैश्विक नियमन के लिए दबाव डाल रहा है।
किसी एक देश के लिए पाबंदी लगाना काफी मुश्किल
अधिकारी ने कहा, अगर कोई देश अधिक सख्त नियमन चाहता है, तो वह क्रिप्टोकरेंसी से पैदा होने वाले जोखिमों के आधार पर अधिक प्रतिबंधात्मक नियमन बना सकता है। अगर आप (कोई देश) पूरी तरह पाबंदी लगाना चाहते हैं तो ऐसा कर सकते हैं। लेकिन, बाकी दुनिया इसे प्रतिबंधित नहीं करती है तो एक देश के लिए जोखिम वाली संपत्ति पर प्रतिबंध लगाना काफी मुश्किल हो सकता है।
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