
नई दिल्ली । भारत-चीन सीमा(India-China border) पर सुरक्षा(Security) को और मजबूत(Strong) करने के उद्देश्य से भारतीय सेना(Indian Army) ने एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम(Strategic move) उठाते हुए दो ‘रूद्र ब्रिगेड’ की तैनाती का फैसला किया है। ये ब्रिगेड अत्याधुनिक हथियारों और विशेष बलों से लैस होंगी और इन्हें पूर्वी लद्दाख और सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास तैनात किया जाएगा। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के अवसर पर ‘रूद्र’ ब्रिगेड के कॉन्सेप्ट की घोषणा की थी। सेना सूत्रों के मुताबिक, इस ब्रिगेड को अगले कुछ महीनों के भीतर पूरी तरह से ऑपरेशनल करने का लक्ष्य रखा गया है।
सूत्रों का कहना है, “यह तैनाती भारतीय सेना की युद्ध क्षमता को पुनर्गठित करने और रणनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में ऑपरेशनल तैयारी को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
क्या है ‘रूद्र’ ब्रिगेड की खासियत?
पारंपरिक ब्रिगेड जहां आमतौर पर 3,000 से 3,500 सैनिकों के साथ एक विशेष डोमेन (जैसे इन्फैंट्री या आर्मर) पर केंद्रित होती हैं, वहीं ‘रूद्र’ ब्रिगेड पूरी तरह एकीकृत युद्धक इकाई के रूप में कार्य करेगी। इसमें इन्फैंट्री और मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री यूनिट्स, टैंक और आर्मर्ड वाहन इकाइयां, तोपखाना, ‘भैरव’ यूनिट, मानवरहित हवाई प्रणालियां, ड्रोन व लूटिंग म्युनिशन क्षमताएं, एयर डिफेंस से लैस ‘दिव्यास्त्र बैटरियां’ के साथ-साथ लॉजिस्टिक और युद्धक सहायता ढांचे होंगे।
‘भैरव’ यूनिट्स
हल्के कमांडो बटालियनों के रूप में तैयार की जा रही हैं, जो ‘रूद्र’ ब्रिगेड के अभियानों में सीधे समर्थन देंगी। ये यूनिट्स LoC और आतंकवाद विरोधी अभियानों में तैनात ‘घातक’ प्लाटून की क्षमताओं से एक कदम आगे होंगी।
‘शक्तिबान’ आर्टिलरी रेजिमेंट्स
यह इकाइयां ड्रोन वॉरफेयर और लूटिंग म्युनिशन पर केंद्रित होंगी। ऐसे हथियार जो हवा में मंडराकर शत्रु के ठिकानों पर सटीक हमला कर सकते हैं।
‘दिव्यास्त्र’ बैटरियां
यह इकाइयां देशी एंटी-एयर डिफेंस सिस्टम और ड्रोन क्षमताओं से लैस होंगी और सेना की लेयर्ड एयर डिफेंस रणनीति का हिस्सा होंगी। यह रणनीति हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सफलतापूर्वक प्रदर्शित की गई थी।
‘रूद्र’ ब्रिगेड के लिए कोई नई इकाइयां नहीं बनाई जाएंगी। इसके बजाय, मौजूदा युद्धक और सहायता इकाइयों को एकीकृत और पुनर्नियोजित कर एक नई रणनीतिक संरचना में ढाला जाएगा।
भारतीय सेना में यह बड़ा बदलाव 2022 में शुरू की गई एक स्टडी के आधार पर हो रहा है। इस अध्ययन में वर्तमान ढांचों का मूल्यांकन कर यह देखा गया कि तेजी से बदलते सुरक्षा परिदृश्य के बीच सेना को कैसे अधिक प्रभावी, चुस्त और आधुनिक बनाया जा सकता है। 2023 में सेना के कमांडरों ने एक चरणबद्ध पुनर्गठन योजना की शुरुआत की थी। इसी के तहत पंजाब में हुए सैन्य अभ्यासों में इंटीग्रेटेड ब्रिगेड्स की अवधारणा का सफल परीक्षण भी किया गया।

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