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पश्चिम अफ्रीकी देश में 3 भारतीय हुए अगवा, अल-कायदा के आतंकी संगठन अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन पर शक

July 04, 2025

बमाको । पश्चिम अफ्रीकी देश माली (Mali) में एक गंभीर आतंकी घटना (Terrorist incident) सामने आई, जिसमें तीन भारतीय नागरिकों (Indian Citizens) को अगवा कर लिया गया। यह हमला 1 जुलाई को माली के कायेस क्षेत्र में स्थित डायमंड सीमेंट फैक्ट्री पर हुआ, जहां भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों (Terrorists) ने सुनियोजित तरीके से धावा बोला और तीन भारतीय कर्मचारियों को बंधक बनाकर ले गए। इस घटना के पीछे अल-कायदा से जुड़े आतंकी संगठन जमात नुसरत अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन (JNIM) का हाथ होने का संदेह जताया जा रहा है। हालांकि इस अपहरण की जिम्मेदारी अभी तक किसी संगठन ने आधिकारिक रूप से नहीं ली है। भारत सरकार ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए माली सरकार से अपहृत नागरिकों की सुरक्षित और शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने की अपील की है।

अल-कायदा के आतंकी संगठन का आतंक
माली में हाल के दिनों में आतंकी संगठनों, विशेष रूप से अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े समूहों की गतिविधियां बढ़ी हैं। 1 जुलाई को हुए इस हमले से पहले, मंगलवार को माली के विभिन्न हिस्सों में समन्वित आतंकी हमलों की जिम्मेदारी JNIM ने ली थी, जिससे इस अपहरण में उनकी संलिप्तता का संदेह और गहरा हो गया है।

क्या है आतंकी संगठन जमात नुसरत अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन
जमात नुसरत अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन एक जिहादी संगठन है, जो अल-कायदा इन द इस्लामिक मघरेब का हिस्सा है। यह संगठन 2017 में पश्चिम अफ्रीका में सक्रिय विभिन्न जिहादी समूहों के गठबंधन से बना। JNIM का प्रभाव माली, बुर्किना फासो, और नाइजर जैसे साहेल क्षेत्र के देशों में है, जहां यह सरकारी और विदेशी ठिकानों पर हमले, अपहरण, और अन्य आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है। संगठन का उद्देश्य इस क्षेत्र में इस्लामी शासन स्थापित करना और विदेशी प्रभाव, खासकर फ्रांसीसी और पश्चिमी देशों की मौजूदगी को समाप्त करना है।


JNIM माली में पहले भी कई आतंकी हमलों और अपहरण की घटनाओं में शामिल रहा है। यह संगठन स्थानीय और विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर फिरौती और राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति अपनाता है। डायमंड सीमेंट फैक्ट्री पर हमले को भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, हालांकि अपहरण के पीछे ठोस मकसद अभी स्पष्ट नहीं है।

अपहरण का मकसद: संभावित कारण
भारतीयों के अपहरण की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। JNIM और अन्य जिहादी संगठन अक्सर अपहरण के जरिए फिरौती वसूलते हैं, जिससे अपनी गतिविधियों के लिए धन जुटाते हैं। विदेशी नागरिकों को निशाना बनाना उनके लिए आर्थिक और रणनीतिक रूप से फायदेमंद होता है।

इसके अलावा, माली में विदेशी कंपनियों और नागरिकों पर हमले क्षेत्र में पश्चिमी और अन्य विदेशी प्रभाव को कम करने की रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। भारतीय नागरिकों का अपहरण भारत और माली के बीच बढ़ते आर्थिक सहयोग पर दबाव डालने का प्रयास हो सकता है। आतंकी संगठन विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर क्षेत्र में भय का माहौल पैदा करते हैं और अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हैं। यह स्थानीय आबादी और सरकारों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का एक तरीका है।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी है। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि बमाको में भारतीय दूतावास माली के स्थानीय प्रशासन, पुलिस, और डायमंड सीमेंट फैक्ट्री के प्रबंधन के साथ लगातार संपर्क में है। मंत्रालय ने अपहृत नागरिकों के परिवारों को नियमित अपडेट देने का आश्वासन दिया है। विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और भारतीय नागरिकों की सुरक्षित रिहाई के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

माली में भारतीय समुदाय छोटा लेकिन उभरता हुआ है। अनुमान के अनुसार, माली में लगभग 400 भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनमें से अधिकांश व्यापार और उद्योगों, जैसे डायमंड सीमेंट फैक्ट्री जैसे प्रोजेक्ट्स में कार्यरत हैं। यह अपहरण भारतीय समुदाय के बीच डर का माहौल पैदा कर सकता है और भारत-माली संबंधों पर भी असर डाल सकता है।

माली में आतंक का पुराना इतिहास
माली में आतंकवाद और अस्थिरता का इतिहास रहा है। 2012 के बाद से देश में अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट से जुड़े समूहों की गतिविधियां बढ़ी हैं। JNIM जैसे संगठन साहेल क्षेत्र में सक्रिय हैं और सरकारी ठिकानों, विदेशी नागरिकों, और स्थानीय आबादी को निशाना बनाते हैं। फ्रांस ने 2013 से माली में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए हैं, जिसमें हजारों सैनिक तैनात हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में नहीं आ सकी है। 2020 में फ्रांसीसी सेना ने अल-कायदा के ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसमें 50 से अधिक आतंकी मारे गए थे, लेकिन JNIM जैसे समूह अभी भी सक्रिय हैं।

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