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भारतीय डिफेंस कंपनी SDAL ने तैयार किया ‘भार्गवास्त्र’, चीनी-तुर्की ड्रोनों के झुंड को पलक झपकते अकेले कर देगा खाक

May 15, 2025

नई दिल्‍ली । भारतीय डिफेंस कंपनी सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) ने हार्ड किल मोड में एक नया कम लागत वाला काउंटर ड्रोन सिस्टम ‘भार्गवास्त्र’ (Bhargavastra) डिजाइन और विकसित किया है, जो ड्रोन झुंडों के बढ़ते खतरों का सामना करने में एक बड़ी छलांग है क्योंकि ड्रोन झुंडों (Drone) को छह किलोमीटर या उससे अधिक की दूरी पर ही पता लगा सकता है और उसके हमले को बेअसर कर सकता है। इस काउंटर-ड्रोन सिस्टम में इस्तेमाल किए गए माइक्रो रॉकेटों का अब गोपालपुर के सीवर्ड फायरिंग रेंज में सफल परीक्षण किया गया है, जिसमें सभी निर्धारित उद्देश्य हासिल कर लिए गए।

13 मई को गोपालपुर में आर्मी एयर डिफेंस के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में माइक्रो रॉकेट के लिए तीन परीक्षण किए गए। एक-एक रॉकेट दागकर दो परीक्षण किए गए। एक परीक्षण तो 2 सेकंड के भीतर साल्वो मोड में दो रॉकेट दागकर किया गया। सभी चार रॉकेटों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया और बड़े पैमाने पर ड्रोन हमलों को कम करने में इसकी अहम तकनीक को साबित करते हुए जरूरी लॉन्च मापदंडों को हासिल किया।

क्या है भार्गवास्त्र?
भार्गवास्त्र एक माइक्रो-मिसाइल आधारित रक्षा प्रणाली है, जो भारत में ही विकसित किया गया है। इसे मुख्य रूप से ड्रोन हमलों को बेअसर करने के लिए डिजायन किया गया है। यह ड्रोन झुंडों की एकसाथ पहचान कर सकता है और उसे सेकेंड भर में बेअसर कर सकता है। इस सिस्टम की खासियत यह है कि यह 6 किलोमीटर या उससे अधिक दूरी पर भी ड्रोन झुंडों की पहचान कर सकता है।

भार्गवास्त्र की खूबियां क्या?
इसे मानव रहित हवाई वाहन खतरों का मुकाबला करने के लिए एक एकीकृत समाधान माना जा रहा है। ‘भार्गवस्त्र’ 2.5 किमी तक की दूरी पर आने वाले छोटे ड्रोन का पता लगाने और उन्हें खत्म करने की भी उन्नत क्षमताओं से लैस है। यह मल्टी लेयर काउंडर ड्रोन सिस्टम है, जिसमें रक्षा की पहली परत के रूप में बिना निर्देशित माइक्रो रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है, जो 20 मीटर की घातक त्रिज्या वाले ड्रोन के झुंड को बेअसर करने में सक्षम है और दूसरी परत के रूप में निर्देशित माइक्रो-मिसाइल (पहले से ही परीक्षण किया गया) पिन पॉइंट सटीकता के लिए है, जो सटीक और प्रभावशाली निष्प्रभावी सुनिश्चित करता है।


अलग-अलग इलाकों में तैनाती के लिए डिजाइन किया गया
इसे समुद्र तल से 5000 मीटर से अधिक उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के साथ-साथ अलग-अलग इलाकों में तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम भारत के सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा कर सकता है क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने जिस तरह से चीनी और तुर्की निर्मित ड्रोनों और मिसाइलों का इस्तेमाल किया है, उससे साफ हो गया है कि आने वाले समय में ड्रोनों की नई तकनीक को विफल करने की जरूरत पड़ने वाली है। भार्गवास्त्र उस दिशा में मील का पत्थर साबित होने वाला है।

कैसे पड़ा नाम भार्गवास्त्र?
भार्गवास्त्र का नाम भगवान परशुराम के अस्त्र भार्गव अस्त्र से लिया गया है, जो एक शक्तिशाली हथियार था। यह एक मोबाइल प्लेटफॉर्म पर लगा हुआ है ताकि इसे विभिन्न इलाकों में जल्द तैनात किया जा सके। भार्गवास्त्र को स्वार्म ड्रोन से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है और एक साथ 64 से अधिक माइक्रो-मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता है।

उन्नत C4I तकनीक की विशेषता से परिपूर्ण
भार्गवास् उन्नत C4I (कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशंस, कंप्यूटर और इंटेलिजेंस) तकनीक की विशेषता वाले एक परिष्कृत कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर से लैस, सिस्टम का रडार 6 से 10 किमी दूर के हवाई खतरों का मिनट भर में पता लगा सकता है और सेकंडों में उसे बेअसर कर सकता है। इसका इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड (ईओ/आईआर) सेंसर सूट आगे लो रडार क्रॉस-सेक्शन (एलआरसीएस) लक्ष्यों की सटीक पहचान सुनिश्चित करता है। ‘भार्गवस्त्र’ एक व्यापक स्थितिजन्य जागरूकता अवलोकन प्रदान करता है, जिससे ऑपरेटरों को व्यक्तिगत ड्रोन या पूरे झुंड का मूल्यांकन और मुकाबला करने में सक्षम बनाता है।

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