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भारतीय IT कंपनियां अमेरिकी कर्मचारियों की भर्ती बढ़ाने को तैयार.. H-1B वीजा के शुल्क वृद्धि का नहीं होगा ज्यादा असर

September 24, 2025

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (American President Donald Trump) ने H-1B वीजा (H-1B Visa) के आवेदन शुल्क में भारी बढ़ोतरी की है, जिससे वैश्विक प्रतिभा उद्योग में हलचल मच गई है। हालांकि, भारतीय आईटी कंपनियां (Indian IT companies) पहले से ही स्थानीय अमेरिकी कर्मचारियों (American employees) की भर्ती बढ़ाकर इस बदलाव के लिए तैयार हैं और उनका मानना है कि इसका उन पर केवल सीमित प्रभाव पड़ेगा।

ट्रंप के फैसले ने मचाई हलचल, H-1B वीजा होल्डर्स में दहशत
21 सितंबर, 2025 की रात से, अमेरिका में नए H-1B वीजा के आवेदनों के लिए एक बड़ी रकम, $100,000 (लगभग 88 लाख रुपये) का भुगतान अनिवार्य कर दिया गया है। यह शुल्क पहले के शुल्क (आमतौर पर $2,000 से $5,000) से लगभग 60 गुना अधिक है।


कुछ कह नहीं सकते
शुरुआत में इस घोषणा ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी, जिसके बाद अमेरिकी प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह नया शुल्क केवल नए आवेदनों पर लागू होगा। वर्तमान वीजा धारकों या नवीनीकरण के इच्छुक लोगों पर लागू नहीं होगा। यह एक एकमुश्त शुल्क है, जो हर साल देना अनिवार्य नहीं होगा।

फैसले के पीछे का तर्क
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि H-1B वीजा कार्यक्रम का दुरुपयोग अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियों और मजदूरी को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा था। उनका तर्क है कि कुछ कंपनियां अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियाँ खत्म करके, कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त कर रही थीं। इस कदम का लक्ष्य कंपनियों को अधिक अमेरिकी कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

भारत पर प्रभाव और प्रतिक्रिया
भारत इस फैसले से सबसे अधिक प्रभावित होगा, क्योंकि 2024 में स्वीकृत H-1B वीजा में से 71% भारतीय पेशेवरों को मिले थे।

सरकार की प्रतिक्रिया:
भारत सरकार ने कहा है कि इस शुल्क के “पारिवारिक जीवन में व्यवधान” के कारण मानवीय परिणाम होंगे। वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल (Piyush Goyal) ने टिप्पणी करते हुए कहा, “वे हमारी प्रतिभा से थोड़ा डरे हुए भी हैं”।

बाजार की प्रतिक्रिया: इस खबर के बाद इंफोसिस और TCS जैसी प्रमुख भारतीय आईटी कंपनियों के शेयरों की कीमतों में गिरावट देखी गई।

कंपनियों की रणनीति और नास्कॉम का आकलन
रॉयटर्स के मुताबिक भारतीय आईटी कंपनियां पहले से ही इस बदलाव के लिए तैयारी कर रही हैं। भारतीय आईटी उद्योग के शीर्ष संगठन नास्कॉम के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में स्थानीय कर्मचारियों की भर्ती तेजी से बढ़ाई है।

अमेरिका में स्थानीय कर्मचारियों के कौशल विकास और भर्ती पर $1 बिलियन से अधिक खर्च कर रहा है। वहीं, शीर्ष भारतीय कंपनियों के कुल कर्मचारियों में H-1B वीजा धारकों का हिस्सा 1% से भी कम रह गया है। स्कॉम का आकलन है कि इस पृष्ठभूमि में, इस फैसले का भारतीय आईटी क्षेत्र पर केवल सीमित प्रभाव पड़ेगा।

शीर्ष H-1B वीजा पाने वाली कंपनियां
हाल के आंकड़े दिखाते हैं कि अमेरिकी टेक दिग्गज अब इस वीजा कार्यक्रम के सबसे बड़े लाभार्थी हैं।

– कंपनी H-1B स्वीकृतियां (2025 की पहली छमाही) देश
– अमेजन: 10,044 अमेरिका
– माइक्रोसॉफ्ट: 5,189 अमेरिका
– मेटा: 5,123 अमेरिका
– एप्पल: 4,202 अमेरिका
– गूगल: 4,181 अमेरिका
– टीसीएस: 5,505 भारत
– इन्फोसिस: 2,004 भारत

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