
नई दिल्ली (New Delhi)। देश के सभी संस्थानों से ब्रिटिश शासन (British rule) की गुलामी की विरासतों (legacies of slavery) को खत्म करने के केंद्र सरकार (Central government) के निर्देश के मुताबिक कदम उठाते हुए भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने अपने सभी कर्मचारियों के बैटन (Baton) रखने की प्रथा को तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया है. इंडियन नेवी से जारी एक बयान में कहा गया कि ‘समय बीतने के साथ, नौसेना कर्मियों का बैटन रखना एक आदर्श बन गया है. अधिकार या पावर का प्रतीक बैटन एक औपनिवेशिक विरासत (Colonial Era Practice) है, जिसकी अमृत काल की बदली हुई नौसेना में कोई जगह नहीं है।’
नेवी के बयान के मुताबकि ‘इसे देखते हुए वरिष्ठ अफसरों सहित सभी कर्मचारियों का बैटन रखना तत्काल प्रभाव से बंद किया जाना चाहिए.’ नौसेना ने अब निर्देश दिया है कि हर यूनिट चीफ के ऑफिस में एक औपचारिक बैटन सही ढंग से रखा जाए. नौसेना ने कहा है कि बैटन का औपचारिक हस्तांतरण केवल कमान में बदलाव के हिस्से के रूप में ऑफिस के भीतर किया जा सकता है. भारतीय सेना ने औपनिवेशिक युग की विरासत को खत्म करने के लिए कई कदम उठाए हैं और भारतीय नौसेना ने भी अपना प्रतीक चिह्न बदल दिया है।
भारतीय नौसेना के नए ध्वज या ‘निशान’ का पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अनावरण किया और क्रॉस को हटा दिया गया था. नए ध्वज से नेवी ने औपनिवेशिक अतीत के अवशेषों को हटा दिया और देश की समृद्ध समुद्री विरासत को जगह दी गई. नौसेना का नया ध्वज छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji) की मुहर से प्रेरित है।
नौसेना को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार ने देश में ही युद्धपोतों को बनाने का काम भी तेज कर दिया है। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने भारतीय नौसेना के लिए 9,805 करोड़ रुपये की लागत से अगली पीढ़ी के छह मिसाइल पोत (एनजीएमवी) बनाने के वास्ते एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इन पोतों की आपूर्ति 2027 से की जाएगी. एनजीएमवी उच्च गति और तीव्र मारक क्षमता वाले ऐसे हथियारों से लैस युद्धपोत होगा, जो राडार की नजरों में धूल झोंकने में सक्षम हैं. ये जहाज हमला करने और सतह रोधी युद्ध अभियान चलाने में सक्षम होंगे ये दुश्मन के जहाजों के खिलाफ समुद्र में शक्तिशाली हथियार साबित होंगे।
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