
नई दिल्ली। भारत (India) की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) इस सप्ताह वॉशिंगटन (Washington.) में होने वाली अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund.- IMF) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों में शामिल नहीं होंगी। सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब भारत और अमेरिका (India and America) के बीच व्यापार और रूस से तेल खरीद को लेकर तनातनी जारी है। इस उच्चस्तरीय बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व अब वित्त मंत्रालय की आर्थिक मामलों की सचिव अनुराधा ठाकुर करेंगी। उनके साथ भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा और मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन भी शामिल होंगे।
सीतारमण की अनुपस्थिति उस पृष्ठभूमि में खास मानी जा रही है जब ट्रंप प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर 50% तक का शुल्क लगा दिया है, जिसमें रूस से तेल खरीद को लेकर 25% का अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल इस दौरान ब्रिक्स, जी-20 और जी-24 समूह की बैठकों में हिस्सा लेगा। ये सभी मंच वैश्विक अर्थव्यवस्था और विकासशील देशों की वित्तीय स्थिरता पर केंद्रित हैं। इसके अलावा भारत की ओर से IMF की बोर्ड ऑफ गवर्नर्स बैठक में भी भागीदारी होगी, जो संस्था का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है।
रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्होत्रा 15 अक्टूबर को उभरती अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने पर एक सार्वजनिक भाषण देंगे। पहले के कार्यक्रम में इस दिन सीतारमण के शामिल होने की संभावना जताई गई थी।
पिछले महीने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने न्यूयॉर्क में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीयर से मुलाकात की थी, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच बढ़ते संवाद को आगे बढ़ाना था। वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से भी मुलाकात की।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इन बैठकों में भारत की रूस से तेल खरीद एक प्रमुख मुद्दा रहा। हालांकि भारत और अमेरिका के बीच अब तक इस पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। ग्रीयर ने हाल ही में कहा था कि भारत व्यापार मतभेदों पर व्यावहारिक रुख अपना रहा है और धीरे-धीरे रूस पर निर्भरता कम कर रहा है।
साल 2024 में विश्व बैंक ने 117.5 अरब डॉलर की राशि ऋण, अनुदान और गारंटी के रूप में जारी की थी। IMF के पास इस समय करीब 129 अरब डॉलर के बकाया ऋण हैं और इस वर्ष उसने अब तक 21 अरब डॉलर का वितरण किया है। सीतारमण ने इससे पहले अप्रैल 2024 में वॉशिंगटन में आयोजित बैठकों में भाग लिया था।
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