
नई दिल्ली। भारत (India) का एक्सप्रेस लॉजिस्टिक्स उद्योग (Express Logistics Industry) वित्त वर्ष 30 तक दोगुना आकार ले सकता है। एक्सप्रेस इंडस्ट्री काउंसिल ऑफ इंडिया (Industry Council of India) और केपीएमजी की एक संयुक्त रिपोर्ट (Joint Report) के अनुसार, यह उद्योग वित्त वर्ष 2025 के लगभग 9 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2030 तक 18 से 22 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह 12 से 15 प्रतिशत सीएजीएर की दर से बढ़ रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है आने वाले वर्षों में इस उद्योग से 65 से 67 लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। एक्सप्रेस लॉजिस्टिक्स उद्योग लॉजिस्टिक्स का एक भाग है। यह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्थानों पर माल की समयबद्ध, तेज और विश्वसनीय आवाजाही से संबंधित है। यह कुशल प्रणालियों के माध्यम से त्वरित परिवहन सुनिश्चित करता है। उद्योगों, व्यवसायों और उपभोक्ताओं को उनकी तत्काल डिलीवरी जरूरतों में सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसमें कहा गया है कि देश के विकास में प्रमुख भूमिका निभाते रहने के लिए उद्योग और सरकार दोनों को पांच स्तंभों पर काम करते रहना होगा। इनमें तेजी से बदलते हालात के अनुसार ढलने की क्षमता, कार्यकुशलता में बढ़ोतरी, ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण, टिकाऊ विकास पर फोकस और मजबूत नीतिगत व नियामकीय ढांचा शामिल हैं। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इन बुनियादी तत्वों पर निरंतर काम करने से उद्योग का दीर्घकालिक विस्तार संभव होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण की तेज वृद्धि, डिजिटल पहुंच का विस्तार, बढ़ता विवेकाधीन खर्च और ई-कॉमर्स का तेज प्रसार इस क्षेत्र की मजबूती के प्रमुख कारक रहे हैं। इन कारकों ने मिलकर एक्सप्रेस उद्योग को निरंतर विस्तार की दिशा दी है।
केंद्रीय बजट 2025-26 ने इस क्षेत्र को और बढ़ावा दिया है, जिसमें भारतीय डाक को एक प्रमुख लॉजिस्टिक्स संगठन में बदलना, बीटीएन की शुरुआ उड़ान योजना में संशोधन, घरेलू उत्पादन क्षमताओं में वृद्धि और कार्गो हैंडलिंग में बुनिय ढांचे और प्रक्रिया में सुधार जैसी पहल शामिल हैं। इन कदमों से एक्सप्रेस उद्योग के विकास को गति देने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
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