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तेल का खेल: भारत के नए ‘ट्रंप कार्ड’ से US चारों खाने होगा चित्त, चीन से होगी करीबी

August 07, 2025

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के कुछ ही महीनों में भारत और अमेरिका (US) के बीच संबंधों में खटास आने लगी है। टैरिफ विवाद और रूस से तेल (Tariff dispute, oil from Russia) आयात ने दोनों देशों के बीच संबंधों को इस कदर बिगाड़ दिया है कि अब भारत नए सिरे से रणनीति तैयार करने में लग गया है। चीन के साथ एक बार फिर से संबंधों को बेहतर किया जा रहा है। इसी महीने के आखिर में पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में शामिल होने के लिए चीन जा रहे हैं और वहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात हो सकती है। चीन से एक बार फिर से संबंध बेहतर करना भारत का ट्रंप कार्ड माना जा रहा है, जिससे अमेरिका के चारों खाने चित्त होने की संभावना है।


अमेरिका से कड़वाहट और चीन से संबंधों में सुधार की पह

साल 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने चीन समेत कई देशों से संबंधों को बेहतर करने की पहल की थी। इसके तहत चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सितंबर 2014 में भारत आए थे और यह दौरा काफी अहम रहा था। लेकिन इसके तीन साल बाद 2017 में डोकलाम विवाद से चीन और भारत में खटास की शुरुआत हो गई और फिर 2020 में गलवान घाटी की हिंसा से संबंध और खराब हो गए। कई महीनों तक पूर्वी लद्दाख की सीमा पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने की स्थिति में रहे, लेकिन धीरे-धीरे डि-एस्क्लेशन होता रहा। हालांकि, इसके बावजूद भी पीएम मोदी पिछले पांच सालों में चीन एक बार भी नहीं गए, लेकिन अब एससीओ बैठक के जरिए एक बार फिर से भारत-चीन में रिश्तों की नई शुरुआत हो सकती है। वहीं, दूसरी ओर, पिछले एक दशक में भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते बेहतर होते रहे। डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी और ट्रंप की दोस्ती को पूरी दुनिया ने देखा, लेकिन दूसरे कार्यकाल में ट्रंप के रवैये से यह संबंध बिगड़ गए।

चीन-भारत दोनों ही अमेरिका से खफा!

ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में चीन और भारत दोनों ही अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों से खफा हैं। दरअसल, भारत से पहले चीन अमेरिका के टारगेट पर आया और ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाते-बढ़ाते तकरीबन 250 फीसदी तक कर दिया। वहीं, चीन ने भी अमेरिका पर 125 फीसदी तक टैरिफ बढ़ा दिया था। इस दौरान, चीन और अमेरिका दोनों बयानों से भी एक-दूसरे पर निशाना साधते रहे। हालांकि, धीरे-धीरे टैरिफ रेट में कटौती हुई, लेकिन तनातनी अब भी बरकरार है। उसी तरह, ट्रंप भारत को लेकर भी शुरुआत में थोड़ा नरम रहे, लेकिन फिर भी कहते रहे कि भारत अमेरिकी सामानों पर काफी टैरिफ लगाता है। अप्रैल में अमेरिका की ओर से 90 दिनों का समय दिया गया, लेकिन ट्रेड डील पर सहमति नहीं बन सकी, फिर बीच बातचीत में ही ट्रंप प्रशासन ने एकतरफा फैसला लेते हुए भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया। इसके बाद फिर से 25 फीसदी और टैरिफ लगा दिया। ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर नाराजगी व्यक्त करते हुए भारत की इकॉनमी को डेड तक बता दिया।

अमेरिका की दादागिरी होगी खत्म

अमेरिका से संबंध खराब होने के बीच अब भारत चीन से रिश्ते दुरुस्त कर रहा है। 31 अगस्त और एक सितंबर को पीएम मोदी चीन के तियानजिन में रहेंगे, जहां एससीओ की बैठक होने वाली है। इसमें चीन, भारत के अलावा, रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान जैसे देश शामिल हैं। यदि यह दौरा सफल रहता है तो भारत, चीन और रूस तीनों मिलकर अमेरिका और पश्चिमी देशों को कड़ा जवाब दे सकते हैं। भारत और रूस के बीच हमेशा ही अच्छे संबंध रहे हैं, जबकि रूस और चीन भी अच्छे दोस्त माने जाते हैं। उधर, यूक्रेन के साथ युद्ध में होने की वजह से रूस और अमेरिका के संबंध पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं। ऐसे में भारत, चीन और रूस के साथ आकर अमेरिका की कथित दादागिरी को खत्म कर सकता है।

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