
नई दिल्ली: अमेरिका के टैरिफ वॉर शुरू करने के बाद दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर इसका असर दिखना शुरू हो गया है. टैरिफ वॉर और ग्लोबल मार्केट में टेंशन के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार दुनिया में सबसे ज्यादा रहने वाली है. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने शुक्रवार को भारत की विकास दर का अनुमान जारी है. एजेंसी ने बताया कि भारत के आगे अमेरिका-यूरोप जैसी इकनॉमी रेंगती नजर आएंगी. इस दौरान भारत को एक सबसे बड़ी चुनौती से भी निपटना होगा.
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की विकास दर के अनुमान को 0.2 फीसदी घटाकर 6.3 फीसदी कर दिया है. विकास दर के अनुमान में यह बदलाव अमेरिका की टैरिफ नीतियों और संभावित आर्थिक प्रभावों से जुड़ी अनिश्चितताओं के कारण किया गया है. हालांकि, भारत अब भी सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है. एसएंडपी के अनुसार, चीन की विकास दर FY26 में 3.5% रहने की संभावना है. जाहिर है कि भारत की विकास दर चीन के मुकाबले करीब दोगुनी रहने वाली है.
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यूएस ट्रेड पॉलिसी में बड़ा बदलाव ग्लोबल इकनॉमी को भी धीमा कर सकता है. एजेंसी ने साफ कहा कि ट्रेड वॉर दुनिया के सामने बड़ी चुनौती पैदा कर रहा है और बढ़ती संरक्षणवादी नीतियों की वजह से कोई विजेता नहीं होगा. एसएंडपी के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में चीन की वृद्धि दर 2025 में 0.7 फीसदी घटकर 3.5 फीसदी और 2026 में 3 फीसदी रहने की संभावना है.
एसएंडपी ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2025-26 वित्तीय वर्ष में 6.3 फीसदी और 2026-27 वित्तीय वर्ष में 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. इससे पहले मार्च महीने में एसएंडपी ने FY26 के लिए जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान 6.7 फीसदी से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया था और अब इसमें फिर से 0.20 फीसदी की कटौती कर दी है. एस एंड पी ने नोट किया कि ग्लोबल इकनॉमी पर जोखिम आगे भी निगेटिव रहने की आशंका है. चूंकि, इसका अमेरिका पर बड़ा असर होगा और अमेरिका ग्लोबल इकनॉमी का केंद्र है, लिहाजा इसका असर अन्य देशों पर भी बखूबी दिख सकता है.
फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में उतार-चढ़ाव को लेकर भी S&P ने अनुमान लगाया है. उसने बताया कि 2025 के अंत तक INR/USD विनिमय दर 88 तक पहुंच जाएगी, जो 2024 में 86.64 थी. US टैरिफ घोषणा के बाद से रुपये में मजबूती आ रही है और यह 84 के लेवल पर दिख रहा है. फॉरेन मार्केट में रुपये भारतीय करेंसी के कमजोर पड़ने की वजह से पूरी अर्थव्यवस्था पर दबाव दिख सकता है.
S&P के अनुसार, इस साल अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 1.5 फीसदी और अगले साल 1.7 फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद है. अमेरिकी टैरिफ नीति तीन श्रेणियों में विभाजित होगी. चीन को भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और लंबे समय से चल रहे व्यापार तनाव के कारण एक अलग मामला माना जाएगा. यूरोपीय संघ के साथ व्यापार संबंध जटिल होने की संभावना है, जबकि कनाडा व्यापार वार्ताओं में अमेरिका के साथ एक मजबूत रुख अपनाने की उम्मीद है. अधिकांश देश प्रतिशोध के बजाय समझौता करने का प्रयास करेंगे.
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