
510 करोड़ का प्रोजेक्ट प्राधिकरण को मिला, 50 फीसदी राशि अर्बन चैलेंज फंड से मिलेगी, बोर्ड प्रस्ताव मंजूर किया, अब शासन को भेजेंगे
इंदौर। कान्ह-सरस्वती (Kanha-Saraswati ) रिवर फ्रंट कॉरिडोर (River Front Corridor ) को अमल में लाने का जिम्मा प्राधिकरण (IDA) को सौंपा गया है और कल बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव मंजूर कर दिया, जो अब शासन को भेजा जाएगा। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा घोषित अर्बन चैलेंज फंड से 50 फीसदी राशि हासिल की जाएगी और शेष 50 फीसदी राशि, जो कि लगभग 300 करोड़ रुपए होगी, उसे प्राधिकरण कॉरिडोर के दोनों तरफ उपलब्ध होने वाली सरकारी जमीनों को विकसित कर बेचकर हासिल करेगा। इस कॉरिडोर के लिए डीपीआर के साथ ड्राइंग-डिजाइन सहित अन्य तैयारी भी निजी फर्म के माध्यम से कराई गई है। यह भी उल्लेखनीय है कि शहरों के पुनर्विकास के लिए केन्द्र सरकार ने अभी अपने बजट में एक लाख करोड़ का अर्बन चैलेंज फंड घोषित किया है।
इस फंड के जरिए शहरों के बुनियादी ढांचों को सुधारना और उनका पुनर्वास किया जाना है, जिसमें जल और स्वच्छता को प्रमुखता से शामिल किया गया है। वर्ष 2025-26 के लिए 10 हजार करोड़ रुपए का आवंटन भी केन्द्र सरकार करेगी, जिसका बजट प्रावधान भी कर दिया है। यही कारण है कि इंदौर के कान्ह-सरस्वती रिवर फ्रंट कॉरिडोर प्रोजेक्ट को भी इसी में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। लगभग 25 किलोमीटर के इस कॉरिडोर को निर्मित करने का जिम्मा प्राधिकरण को सौंपा गया है और उसने मेसर्स मेहता एंड एसोसिएट एलएलपी द्वारा इसकी डीपीआर, ड्राइंग और खर्च के अनुमान की जानकारी तैयार की, जो कल बोर्ड बैठक में रखी गई। संभागायुक्त और प्राधिकरण अध्यक्ष दीपक सिंह के मुताबिक इंदौर के लिए यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है, जिसमें लगभग 25 किलोमीटर का कॉरिडोर तैयार किया जाएगा और फिलहाल इस प्रोजेक्ट की लागत 510.32 करोड़ रुपए आंकी गई है। पिछले दिनों मध्यप्रदेश शासन के अवर मुख्य सचिव नगरीय विकास और आवास विभाग ने इस संबंध में एक पत्र भी भिजवाया, जिसमें अर्बन चैलेंज फंड स्थापना की जानकारी दी गई और बताया कि यह फंड जल एवं स्वच्छता विकास केन्द्र के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा और इसमें 25 फीसदी राशि केन्द्र सरकार और 25 फीसदी राशि राज्य सरकार से मिलेगी और शेष 50 प्रतिशत राशि संबंधित निकाय, प्राधिकरण द्वारा वहन की जाएगी, जिसके चलते इस कॉरिडोर के लिए प्राधिकरण को लगभग 300 करोड़ रुपए की राशि की आवश्यकता पड़ेगी। चूंकि यह कार्य गैर योजना मद का है इसलिए प्राधिकरण इस राशि की जुगाड़ कॉरिडोर के दोनों तरफ उपलब्ध होने वाली सरकारी जमीनों को विकसित कर उन पर प्रोजेक्ट लाने अथवा टेंडर के जरिए बेचकर हासिल केरगा। प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार के मुताबिक अभी 1 किलोमीटर का पेंच लिया है और उसी पर पर्याप्त जमीन उपलब्ध हो रही है। नजूल या अन्य उपयोग की सरकारी जमीनों को शासन-प्रशासन प्राधिकरण को हस्तांतरित कर देगा और फिर व्यवसायिक, आवासीय या जैसा भी मास्टर प्लान में उन जमीनों का उपयोग होगा उसके मुताबिक विकसित कर जमीनों को बेचकर या उस पर प्रोजेक्ट लाकर रिवर फ्रंट कॉरिडोर में खर्च की जाने वाली राशि की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
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