
इंदौर। इंदौर (Indore) आरटीओ (RTO) कार्यालय में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां फर्जी दस्तावेजों (fake documents) के आधार पर 70 ड्राइविंग लाइसेंस (70 licenses) जारी कर दिए हैं। मामले का खुलासा होने पर सभी लाइसेंस निरस्त किए जाने के साथ ही लाइसेंस जारी करने वाले बाबू धर्मेंद्र डागुर को निलंबित कर ग्वालियर अटैच किया गया है। मामले में एक अन्य बाबू को बचाए जाने के आरोप भी लगाए जा रहे है, जिससे आरटीओ में विरोध की स्थिति बनी हुई हैं।
आरटीओ कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले करीब 6 माह के दौरान मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश से कई लाइसेंस और गाड़ियां एनओसी लेकर मध्य प्रदेश के अलग-अलग आरटीओ में रजिस्टर्ड किए गए हैं। इन मामलों में गड़बड़ी की आशंका होने पर परिवहन आयुक्त द्वारा सभी लाइसेंस और गाड़ियों की जांच के आदेश दिए गए थे। लाइसेंस की जांच में हरियाणा के रहने वाले सोहन सिंह का एक लाइसेंस मिला जो पहले हरियाणा से जारी हुआ था और निरस्त होने के बाद अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में बना था। इन दोनों ही स्थान से पिछले दिनों इस लाइसेंस की एनओसी निकालकर मध्य प्रदेश लाई गई। अरुणाचल से आए लाइसेंस से इंदौर और मणिपुर से उज्जैन में लाइसेंस बनाया दिया गया। मामला सामने आने पर जब इसी तरह के दूसरे लाइसेंस भी देखे गए तो अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर से आए कुल 70 लाइसेंस पकड़े गए।
एक अन्य बाबू और एजेंटों की भूमिका भी संदिग्ध
इस पूरे मामले में आरटीओ सूत्रों का कहना है कि जब यह घटना हुई तब दूसरे राज्यों से आने वाले लाइसेंस के रिन्यूअल का काम बाबू आरपी गौतम के पास था और उन्होंने डागुर की आईडी का इस्तेमाल करते हुए लाइसेंस जारी किए हैं। पूरे मामले में उन्हें बचाया गया है। इस मामले में एजेंट भोला, योगेश और राम की भूमिका भी संदिग्ध बताई गई है, जो दूसरे राज्यों के लाइसेंस का काम करवा रहे हैं।
दूसरे राज्यों के लाइसेंस की सख्त निगरानी के निर्देश
पहले मध्य प्रदेश में स्मार्ट चिप का सिस्टम लागू होने के कारण आवेदक को लाइसेंस रिन्यूअल के लिए आना पड़ता था और अपने फिंगरप्रिंट देना पढ़ते थे, लेकिन अब यह व्यवस्था फेसलेस हो जाने के कारण आवेदक ऑनलाइन ही लाइसेंस ट्रांसफर के आवेदन कर रहे हैं। ऐसे में इनका वेरिफिकेशन मुश्किल हो रहा है। ऐसी गड़बड़ी दोबारा ना हो इसके लिए दूसरे राज्यों खास तौर पर नॉर्थ ईस्ट से आने वाले आवेदनों पर विशेष निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।
प्रदीप शर्मा, आरटीओ, इंदौर
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