
इंदौर। एक तरफ देश में कई अंतर्राष्ट्रीय और अत्याधुनिक एयरपोर्ट (Airport) बीते 4-5 सालों में बनकर उद्घाटित भी हो गए, तो दूसरी तरफ इंदौर (Indore) एयरपोर्ट की स्थिति सुधरने की बजाय बदतर ही होती रही। एक तरफ ट्रिपल इंजन की सरकार (Triple Engine Government) होने के दावे के साथ ऐसे तमाम प्रोजेक्ट फटाफट मंजूर होकर मैदानी अमल में लाने के दावे किए जाते हैं, दूसरी तरफ इंदौर के भाजपा सांसद पिछले 5 सालों से एयरपोर्ट विस्तार के लिए जमीन अधिग्रहण करवाने का ही संघर्ष कर रहे हैं। 700 करोड़ रुपए की योजना 5 साल पहले एयरपोर्ट के नए टर्मिनल भवन के लिए मंजूर करवाई थी और केन्द्र सरकार ने अपनी सहमति भी दी। मगर राज्य सरकार चाही गई जमीन का अधिग्रहण ही नहीं कर सकी। केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री राममोहन नायडू किंजरापू ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा कि राज्य सरकार से समानांतर टैक्सी ट्रैक, आइसोलेशन बे और रन-वे विस्तार के लिए 143 एकड़ जमीन की अपेक्षा है।
अग्निबाण ने कल इंदौर एयरपोर्ट को ना तो अंतर्राष्ट्रीय दर्जा होने से लेकर सिंगापुर-बैंकॉक की उड़ानें ना मिलने के साथ विस्तार की योजना भी अमल में ना लाए जाने की पोलपट्टी खोली और यह खबर टॉक ऑफ द टाउन बनी और इस पर सांसद शंकर लालावानी ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि वे खुद पिछले 5 सालों से जमीन दिलवाने के प्रयास कर रहे हैं। कई मर्तबा मध्यप्रदेश के आला अधिकारियों से उनकी बैठक हो चुकी है। मुख्य सचिव से लेकर कलेक्टर तक से वे मिलते रहे हैं और यह अनुरोध किया गया कि केन्द्र सरकार इंदौर एयरपोर्ट के नए टर्मिनल भवन सहित विस्तार के लिए 700 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च करने को तैयार है। सिर्फ राज्य शासन को इसके लिए चाही गई जमीन अधिग्रहित कर देना पड़ेगी।
श्री लालवानी ने कहा कि केन्द्र सरकार के नागरिक उड्डयन परिवहन मंत्रालय की यह पॉलिसी है कि जहां भी एयरपोर्ट का निर्माण होता है अथवा उसका विस्तार किया जाना है तो वहां की राज्य सरकार को ही जमीन अधिग्रहण करके देना पड़ेगी और इसमें जो खर्चा होगा उसे भी राज्य शासन वहन करे। लेकिन मध्यप्रदेश में अभी तक इंदौर एयरपोर्ट के लिए मांगी गई जमीनों के अधिग्रहण की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो सकी और इस मर्तबा अनेकों पत्र भी उन्होंने लिख दिए। जबकि केन्द्र सरकार के मंत्री ने उन्हें लिखे पत्र में ही यह स्पष्ट कहा कि राज्य शासन से 143 एकड़ जमीन की अपेक्षा की गई, जो अभी तक उपलब्ध नहीं हुई है। दूसरी तरफ कुछ समय पूर्व ही उज्जैन में एयर स्ट्रीप के विस्तार के लिए राज्य शासन ने ना सिर्फ जमीन उपलब्ध कराई, बल्कि एयरपोर्ट अथॉरिटी को 45 करोड़ रुपए की राशि भी दी। 5 साल पहले जब केन्द्र सरकार ने इंदौर सहित कई एयरपोर्ट को निजी हाथों में सौंपने का नि$र्णय लिया था, तब अवश्य एयरपोर्ट विस्तार की योजना को लम्बित रखा गया था। मगर सांसद लालवानी के मुताबिक अब निजीकरण की सूची से इंदौर एयरपोर्ट हट गया है।
लिहाजा एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ही नए टर्मिनल भवन के निर्माण के साथ नए रनवे बनाने के अलावा अन्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं जुटाएंगी। मगर इसके लिए राज्य सरकार को जमीन अधिग्रहित कर देना पड़ेगी। लालवानी का यह भी कहना है कि इंदौर के मास्टर प्लान में जो 1100 एकड़ जमीन एयरपोर्ट के लिए चिन्हित कर रखी है, वह भी मौके पर धार की तरफ खाली पड़ी है और इस जमीन पर किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति भी नहीं मिल सकती। लिहाजा जमीन की कीमत भी कम है और यह जमीन अधिग्रहित की जा सकती है। अभी तो पहले चरण में 89 एकड़ जमीन ही मांगी गई है। हालांकि यह जमीन निजी है और मौके पर खाली भी पड़ी है और लगभग 500 करोड़ रुपए की राशि भूमि अधिग्रहण पर खर्च होना संभावित है। अगर राज्य शासन यह राशि खर्च कर सके तो इंदौर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के एयरपोर्ट की सौगात मिल सकती है। जब श्री लालवानी से यह पूछा गया कि भाजपा लगातार यह दावा करती है कि राज्य और शहर में अगर एक ही पार्टी की सरकार रहे तो सारे काम फटाफट होते हैं।
केन्द्र में भाजपा, प्रदेश में भाजपा और शहर में भी जब भाजपा है तो ट्रिपल इंजन की सरकार के बावजूद 5 साल से एयरपोर्ट के लिए ही जमीन क्यों नहीं हासिल हो सकी। इस पर लालवानी ने कहा कि वे तो लगातार प्रयासरत हैं और दिल्ली, भोपाल, इंदौर में संबंधित अधिकारियों और यहां तक कि मुख्यमंत्री से भी इस बारे में अनुरोध कर चुके हैं। अब जो 700 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बनाया था उसकी भी लागत बढ़ गई है और एक हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे। मगर यह राशि केन्द्र सरकार से मिल जाएगी, अगर राज्य शासन जमीन उपलब्ध करा दे। लालवानी ने इस संबंध में हुए पत्राचार की प्रतिलिपियां भी अग्निबाण को उपलब्ध कराई, जिसमें उनके द्वारा पिछले 5 सालों में किए गए प्रयासों की भी जानकारी है। यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों, जिनमें सिंगापुर, थाईलैंड के लिए भी उनके द्वारा केन्द्रीय मंत्री को पत्र लिखे गए, जिसके जवाब में उन्होंने यह बताया कि अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें चूंकि दोनों देशों के बीच हुए हवाई सेवा समझौते के तहत संचालित होती है और इसके लिए एयरलाइन स्वतंत्र है कि वह किन देशों के बीच कहां से उड़ानें संचालित करना चाहती है। बावजूद इसके इंदौर एयरपोर्ट से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को संचालित करवाने के लिए संबंधित एयरलाइनों को जानकारी दी गई है और इसमें भी केन्द्रीय मंत्रालय हर संभव सहयोग करेगा। इन तमाम जानकारियों के सामने आने के बाद अब इसे इंदौर का दुर्भाग्य ही कहा जाए कि केन्द्र सरकार नया एयरपोर्ट बनाने को तैयार है, मगर राज्य शासन जमीन ही उपलब्ध नहीं करा रहा है, जिसके चलते पूरा प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में पहुंच गया।
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