
महिलाओ ने कलश उठाए, पुरुषों ने जिन शासन के जयघोष लगाए
इंदौर। 100 से अधिक संतों (Saints) की मौजूदगी में तडक़े 4 बजे ही तपस्वियों (ascetics) ने अपने सिर से एक-एक बाल (Hair) नोंच-नोंच कर इस तरह अलग कर दिए, मानो केशलोच (Kesloch) कर जीवन की नश्वरता का बोध करा रहे हो। आत्मा की शुद्धि, वैराग्य और त्याग को अंगीकार कर इन दीक्षार्थियों ने संयम जीवन में प्रवेश किया। धर्म की प्रभावना से अंगीकार होते हुए आज 10 युवतियों ने भी वैराग्य का व्रत धारण किया। सुबह मंगल जयघोष के साथ प्रभातफेरी निकली, जिसमें महिलाओं ने सिर पर कलश उठाकर मंगल गीत गाए व पुरुषों ने जिन शासन के जयघोष लगाए।
विनम्र सागर महाराज और अन्य अनेक मुनिश्री एवं आचार्यश्री के सान्निध्य में विजयनगर स्थित आईडीए ग्राउंड में आज सुबह अलग ही छटा बिखरी हुई थी। महिलाएं सिर पर मंगल कलश रख जहां भजनों और मंगल गीतों की धुन पर नाच रही थीं, वहीं पुरुषों के हाथ में जिन शासन के ध्वज लहरा रहे थे। हर धर्मप्रेमी में वैराग्य के पद पर चलने वाले वैरागियों के लिए स्नेह और सम्मान झलक रहा था। दिगंबर जैन समाज द्वारा आयोजित जैनेश्वरी दीक्षा महोत्सव में एक साथ कई दीक्षार्थियों का संयम जीवन में प्रवेश हो रहा है। दीक्षा महोत्सव के आयोजक राहुल जैन केसरी, सुरेश भइया और जिनेश भइया ने बताया कि इस दिव्य आयोजन में ब्रह्मचारी अनिल बांसवाड़ा, ऐलक विनमित सागर, नितिन जैन (नीरज महाराज) सहित अनेक साधक दीक्षा लेकर मोहमाया से मुक्त संयम मार्ग पर अग्रसर होंगे, साथ ही सात महिला दीक्षार्थी आस्था जैन, मनीषा जैन, मीरा जैन, सोनम जैन, नेहा जैन, ज्योति जैन व अंशु जैन भी इस दिन वैराग्य का व्रत धारण करेंगी। यह दीक्षा केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण की वह प्रक्रिया है, जिसमें दीक्षार्थी केशलोच जैसे कठोर संकल्पों के साथ आत्मकल्याण की राह पर अग्रसर होते हैं। मौके पर धर्मेंद्र जैन अध्यक्ष, हर्ष जैन महामंत्री, डीके जैन उपाध्यक्ष, गिरीश जैन गिन्नी ग्रुप, अक्षय कसलीवाल, प्रदीप जैन शास्त्री, राजीव निराला, जिनेश झांझरी, आरके जैन, प्रकाश जैन, विनोद जैन, महावीर जैन, दिनेश जैन सहित समाज के कई प्रमुख पदाधिकारी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।