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इंदौर: माता-पिता और अपनों को कोरोना में खो चुके बच्चे भी भर रहे उड़ान

September 30, 2025

इंदौर के 32 अनाथ बच्चों का सहारा बनी प्रधानमंत्री की योजना… उच्च शिक्षा का सपना होगा पूरा

इंदौर, प्रियंका जैन देशपांडे।
कोरोना महामारी (Corona epidemic) के कारण माता-पिता (parents) खो (lost) चुके बच्चों (Children) को संबल देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 29 मई 2021 को शुरू की गई प्रधानमंत्री केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना का लाभ इंदौर जिले के 32 बच्चों को मिल रहा है, वहीं जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग की देखरेख में इन बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। विभाग इन बच्चों को पालक बनकर संरक्षण दे रहा है।


कोविड-19 महामारी के दौरान माता-पिता सहित अपने सभी पालकों को खो चुके बच्चों के लिए प्रधानमंत्री की योजना संबल बन रही है। बच्चे न केवल पढ़ाई-लिखाई में पारंगत हो रहे हैं, बल्कि अपने सुनहरे भविष्य के सपने को लेकर अभी से तैयारी कर रहे हैं। योजना के तहत प्रत्येक पात्र बच्चे के नाम पर डाकघर में खाता खोला गया है। इसमें इतनी राशि जमा कराई गई है कि बच्चे के 18 वर्ष के होने तक उसका कोष 10 लाख रुपए का बन जाएगा। 18 से 23 वर्ष की आयु तक इन बच्चों को मासिक वजीफा भी मिलेगा, जबकि 23 वर्ष पूरे होने पर 10 लाख रुपए की एकमुश्त राशि सौंपी जाएगी, ताकि व्यवसाय या अन्य किसी शुरुआत के लिए भटकना न पड़े।

20 हजार साल के बाद उच्च शिक्षा के लिए लोन भी
इस योजना में बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग से छात्रवृत्ति का प्रावधान भी है। कक्षा पहली से बारहवीं तक प्रतिवर्ष 20 हजार रुपए की छात्रवृत्ति दी जा रही है। उच्च शिक्षा के इच्छुक बच्चों को शिक्षा ऋण की सुविधा दी जाएगी, जिसका ब्याज सरकार वहन करेगी। सिर्फ शिक्षा और वित्तीय मदद ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान है। योजना के तहत सभी बच्चों को आयुष्मान भारत पीएम योजना का 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कवर मिला है।

पूरा सहारा बनी सरकार
शिक्षा के मोर्चे पर भी इन बच्चों को पूरा सहारा दिया जा रहा है। प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर उन्हें नजदीकी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है। कई बच्चों को केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों में भी प्रवेश दिलाने की प्रक्रिया चल रही है, वहीं निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की फीस, किताबें, यूनिफॉर्म और अन्य खर्च भी योजना के अंतर्गत उठाए जा रहे हैं।

काउंसलिंग, पोषण और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान
इसके अलावा समय-समय पर काउंसलिंग, पोषण और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रम भी कराए जा रहे हैं, ताकि बच्चे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें। महिला एवं बाल विभाग के अधिकारी रजनीश सिन्हा का कहना है कि इन 32 बच्चों को हर साल योजना के लाभ की जानकारी और आसरा दिया जाएगा, जिससे वे समाज में उपेक्षित महसूस न करें। प्रधानमंत्री की इस पहल ने इन अनाथ बच्चों को न केवल वित्तीय सहारा दिया है बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य के जरिए उनका भविष्य भी सुरक्षित किया है।

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