
इंदौर। कैंसर, लकवा जैसी गम्भीर बीमारी से पीडि़त असहाय, बेबस मरीजों की देखभाल और इलाज करने के लिए पहली बार मध्यप्रदेश का पहला कारुण्य प्रोजेक्ट सिर्फ इंदौर को मिला है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत आयुष अस्पतालों के डाक्टर्स को मरीजों के इलाज और देखभाल से सम्बन्धित प्रशिक्षण 17 दिसम्बर से दिया जाएगा। यह डाक्टर्स उनका इलाज करेंगे, जो अस्पताल तक आने में असमर्थ है।
शासकीय अष्टांग आयुर्वेद महाविद्यालय और चिकित्सालय इंदौर के प्रिंसिपल डॉ. अजीत पाल सिंह चौहान ने बताया कि भारत सरकार के जनस्वास्थ्य कार्यक्रम से सम्बन्धित कारुण्य का पहला पायलट प्रोजेक्ट अष्टांग अस्पताल के कैंसर विभाग में शुरू हुआ है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत सिर्फ शहर ही नहीं, बल्कि इंदौर जिले के गांवों में मौजूद गम्भीर असहाय उन मरीजों को चिन्हित करना है, जो स्वास्थ्य केंद्र अथवा अस्पतालों तक पहुंचने में असमर्थ हैं। इनकी इलाज करते हुए स्नेहिल व्यवहार से उन्हें यह विश्वास दिलाया जाएगा कि वह खुद को अकेला, असहाय या बेबस महसूस न करें।
गम्भीर मरीजों को तत्काल रैफर किया जाएगा
मरीज के परिजनों को उनकी देखभाल करने के तरीके समझाएंगे, जब तक मरीज पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाता, तब तक उसका इलाज देखभाल सहित उससे और परिजनों से सम्पर्क जारी रहेगा। अगर मरीज की हालत बहुत ज्यादा गम्भीर है तो उसे तत्काल बड़े अस्पताल को रैफर किया जाएगा।
कारुण्य प्रोजेक्ट के लिए 25 डाक्टर्स को ट्रेनिग देंगे
इस प्रोजेक्ट के लिए इंदौर जिले में मौजूद आयुष अस्पतालों के 25 डाक्टर्स को ट्रेनिग देकर तैयार किया जाएगा। प्रिंसिपल चौहान के अनुसार गम्भीर और असहाय मरीजों को ढूंढकर उनका इलाज करने के लिए शासन ने एक डॉक्टर मुहैया कराया है। यह आयुष डॉक्टर सम्बन्धित इलाकों में मरीजों को ढूंढकर न सिर्फ इलाज करेंगे , बल्कि परिजनों को मरीज की देखभाल के तरीके बताएंगे।
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