
इंदौर। कल तेंदुए (Leopard ) के फंसे होने की खबर मिलते ही मौके पर पहुंचने के बाद उसे ट्रेंक्यूलाइज (बेहोश) कर फंदे से निकालने के लिए रेस्क्यू टीम (rescue team) को इस ऑपरेशन (operation) में लगभग 45 मिनट का समय लगा। इलाज के लिए उसे कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय (zoo) इंदौर लाने के बाद शाम को दोबारा टाइगर स्ट्राइक फोर्स फंदे लगाने वालों की तलाश में डॉग स्क्वॉड को लेकर मौके पर पहुंची। वह मौके पर सूंघता-घूमता रहा, मगर उससे किसी तरह का सुराग या सफलता नहीं मिली।

धमनाय गांव में लगाया है पिंजरा
पिछले शुक्रवार से बायपास रोड के दोनों तरफ, गांव और कालोनियों में तेंदुए के लगातार मूवमेंट के चलते उसे पकडऩे के लिए वन विभाग ने धमनाय गांव के पास पिंजरा लगाया है। वन विभाग के कोमल पालीवाल ने बताया कि इंदौर के आसपास बायपास से सटे बाहरी इलाके में धमनाय, पत्थर मुंडला, सेवन माइल, देवगुराडिय़ा वाले इलाकों में तेंदुआ देखने की लगातार खबर आ रही है। जहां से भी सूचना मिलती है वन विभाग और रेस्क्यू ऑपरेशन टीम का अमला मौके पर पहुंच रहा है, मगर तेंदुए को पकडऩे संबंधित कोई सफलता नहीं मिली है। पिछले दिनों केवड़ेश्वर में पिंजरा रखा था। अब वहां से हटाकर उसे धमनाय गांव के इलाके में लगाया है। इसके अलावा वन कर्मचारियों की दिन और रात में गश्त जारी है।
क्लच वायर और फेंसिंग के तार से बनाया था फंदा
रालामंडल रेस्क्यू टीम के मुख्य अधिकारी एसडीओ योहान कटारा ने बताया कि मौके पर लैंटर्न की झाडिय़ों में जो फंदा मिला उसे क्लच वायर और फेंसिंग के तार से बनाया गया है। इस फंदे का इस्तेमाल कई लोग जंगली सूअर का मांस खाने के लिए उन्हें पकडऩे के लिए तो कई अपने खेत में आलू की फसल को सूअरों से बचाने के लिए भी करते हैं और इसी तरीके का इस्तेमाल तेंदुए सहित अन्य वन्य जीवों का शिकार करने वाले शिकारी भी करते हैं। महू फारेस्ट रेंजर पालवी का कहना है कि यह फंदा यदि शिकारियों ने तेंदुए के लिए लगाया होता तो तेंदुए के फंदे में फंसने के बाद रातभर वह उसे जिंदा नहीं छोड़ते।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved