
इंदौर। एक तरफ इंदौरी मेट्रो प्रोजेक्ट ही कई तरह की मुसीबत में फंसा है, तो हाईकोर्ट में भी उसको लेकर याचिका दायर की गई, जिस पर अब अगली सुनवाई दिसम्बर में होना है। वहीं उज्जैन तक मेट्रो चलाने का प्रस्ताव तो लम्बित है ही, वहीं पीथमपुर के लिए भी सर्वे की तैयारी की जा रही है, जिसको लेकर कल बैठक भी हुई। अभी तो सुपर कॉरिडोर से लेकर रेडिसन और खजराना चौराहा तक एलिवेटेड का काम चल रहा है, तो अंडरग्राउंड रुट निर्माण की तैयारी एयरपोर्ट की ओर से की जा रही है। हालांकि वहां भी कुछ तकनीकी अड़चनें हैं, जिसे एयरपोर्ट प्रबंधन और मेट्रो के अफसर मिलकर सुलझाने में जुटे हैं।
कलेक्टर शिवम वर्मा ने पिछळे दिनों एयरपोर्ट प्रबंधन से चर्चा करते हुए कहा कि वे मेट्रो कॉर्पोरेशन के अधिकारियों के साथ बैठक करें और एमओयू भी साइन करें, ताकि एयरपोर्ट विस्तार के साथ-साथ मेट्रो के अंडरग्राउंड रुट का काम जल्द शुरू हो सके। दरअसल, एयरपोर्ट प्रबंधन का कहना है कि मेट्रो कॉर्पोरेशन ने अभी तक अपनी योजना की जानकारी नहीं दी है, जिसके चलते एयरपोर्ट विस्तार का काम भी प्रभावित हो रहा है, जिसमें पार्किंग सहित कई सुविधाएं बढ़ाई जाना है। दरअसल, मेट्रो का अंडरग्राउंड रुट पलासिया, एमजी रोड के चक्कर में उलझा है। यही कारण है कि मेट्रो कॉर्पोरेशन ने एयरपोर्ट की ओर से अंडरग्राउंड रुट का निर्माण करवाना तय किया। दरअसल, एयरपोर्ट से गांधी नगर का हिस्सा भी अंडरग्राउंड है और दूसरी तरफ एयरपोर्ट से लेकर रामचंद्र नगर, बड़ा गणपति और वहां से राजवाड़ा होते हुए एमजी रोड, पलासिया तक का हिस्सा भी अंडरग्राउंड ही है।
इस साढ़े 8 किलोमीटर के हिस्से को लेकर बीते कई दिनों से कवायद चल रही है। विभागीय मंत्री ने भी इस अंडरग्राउंड रुट पर आपत्ति ली और संशोधन के निर्देश दिए। हालांकि शासन स्तर पर अभी तक इस बारे में कोईनिर्णय नहीं हुआ, क्योंकि 900 करोड़ रुपएसे अधिक का भाव रुट संशोधन के चलते पड़ रहा है। वहीं इंदौर-उज्जैन के बीच भी मेट्रो चलाने की कवायद चल रही है और इसमें 10 हजार करोड़ का खर्चा बताया है। वहीं अब पीथमपुर तक मेट्रो को बढ़ाने की मांग भी हो रही है। साथ ही देवास-धार को भी जोडऩे की मांग भी जनप्रतिनिधियों द्वारा की जाती रही। दिल्ली मेट्रो $कर्पोरेशन द्वारा डीपीआर का काम किया जा रहा है और यह भी सुझाव दिया गया कि लवकुश चौराहा से मरीमाता होते हुए बड़ा गणपति और वहां से राजेन्द्र नगर तक अंडरग्राउंड मेट्रो चलाई जाए और राजेन्द्र नगर से पीथमपुर तक एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने का सुझाव दिया गया है। हालांकि इंदौर, उज्जैन के साथ-साथ पीथमपुर या अन्य जगह के लिए तो अभी समय लगेगा, जब तक कि केन्द्र सरकार मंजूरी ना दे। मगर फिलहाल तो इंदौर का मेट्रो प्रोजेक्ट ही अधर में पड़ा है, क्योंकि अंडरग्राउंड रुट को लेकर मामला उलझा है, जिसे हाईकोर्ट में भी चुनौती दी गई, जिस पर कल ही सुनवाई हुई है। हालांकि पूर्व में हाईकोर्ट इस तरह की जनहित याचिका खारिज भी कर चुका है और अपने ही परिसर की जमीन मेट्रो के अंडरग्राउंड रुट को तैयार करने के लिए देने की सहमति भी दी और इस संबंध में अनुबंध भी हो चुका है। अब देखना यह है कि हाईकोर्ट इस बार क्या निर्णय लेता है।
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