
कंपाउंडिंग की समय सीमा एक बार फिर बढ़ाने की तैयारी
इंदौर। मप्र (MP) के नगरीय क्षेत्रों (Urban Areas) में आवासीय (Residential)और व्यावसायिक निर्माण (Professional Construction) या अवैध निर्माण को वैध कराने के लिए सरकार एक और मौका देने जा रही है। इसके लिए नगरीय विकास और आवास विभाग ने सरकार को प्रस्ताव भेजा है। नए प्रस्ताव के तहत अब 31 मार्च में अवैध निर्माण को वैध कराया जा सकता है।
जानकारों का कहना है कि प्रदेश के नगर निगम और निकायों की आर्थिक तंगी दूर करने के लिए कंपाउंडिंग के नियमों में एक बार फिर संशोधन किया जा रहा है। अनुमति से अधिक निर्माण करने के मामले बार-बार सामने आते हैं। इन्हें वैध करने के लिए सरकार ने पूर्व में भी 30 प्रतिशत तक अवैध निर्माण को वैध करने का नियम बनाया गया था। इसके लिए जो समय निर्धारित किया गया था वह समाप्त हो गया था वहीं जनप्रतिनिधियों से यह मांग आ रही थी कि एक बार और अवसर दिया जाए ताकि जो लोग रह गए हैं वे भी अपने निर्माण को वैध करवा सकें।
गौरतलब है कि नगर निगमों की ओर से इसको लेकर नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अफसरों से मांग की जा रही थी। प्रदेश में मकानों और इमारतों में किए अवैध निर्माण अब 31 मार्च तक वैध हो सकेंगे। समझौता यानी कंपाउंडिंग की समय सीमा एक बार फिर बढ़ाने की तैयारी है। ऐसे में टाइम लिमिट एक्सटेंशन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसे मंजूरी मिलने पर राज्य में लाखों मकान मालिक फायदा उठा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते हुए दस प्रतिशत की जगह अनुमति के अतिरिक्त 30 फीसदी तक किए निर्माण को वैध करने की राहत दी थी। कुछ साल बाद यह बंद हो गई थी। फिर डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री का पद संभालता। तब दिसंबर 2023 में नगरीय विकास विभाग के अफसरों के साथ बैठक की थी। उन्होंने कंपाउंडिंग की सीमा 10 प्रतिशत से बढ़ा कर 30 फीसदी करने के निर्देश दिए थे। इस पर अमल करते हुए 31 अगस्त 2024 तक यह राहत दी गई थी। फिर इसे बढ़ा कर 31 दिसंबर किया गया। इस अवधि में कंपाउंडिंग के लिए उम्मीद के मुताबिक आवेदन नहीं आए।
लाखों मकान मालिकों को फायदा
अब वित्तीय वर्ष 2024-25 के आखिरी तीन महीने बचे हैं। ऐसे में नगरीय निकायों, खास तौर से नगर निगमों को लगता है कि इस दौरान निर्माण वैध कराने के लिए मकान मालिक आगे आएंगे और उनको भी अच्छा रेवेन्यू मिल सकेगा। इसके मद्देनजर 31 मार्च तक का समय और दिए जाने की तैयारी है। जानकारी के अनुसार सरकार की ओर से पिछले साल मार्च में जारी नोटिफिकेशन में तीन बदलाव कंपाउंडिंग की प्रक्रिया पर भारी पड़े। आवासीय भवन में 10 फीसदी से अधिक और 30 प्रतिशत तक निर्मित अतिरिक्त क्षेत्र के लिए पहले कलेक्टर गाइडलाइन से तय बाजार मूल्य का पांच फीसदी शुल्क लिया जाता था। इसे बढ़ा कर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इसी तरह व्यावसायिक उपयोग के भवनों के लिए छह फीसदी कंपाउंडिंग फीस ली जाती थी। इसे 18 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया गया। यानी फीस में दो से तीन गुना तक बढ़ोतरी कर दी गई। अफसरों ने दूसरा काम यह किया कि एक जनवरी 2021 के पहले जारी बिल्डिंग परमिशन से बने भवनों को ही 30 फीसदी कंपाउंडिंग का फायदा मिल पाएगा। इसका सीधे तौर पर मतलब यह था कि इसके बाद अनुमति लेकर बने मकानों के अतिरिक्त निर्माण वैध नहीं होंगे। साथ में शासन ने अवैध निर्माण के सेल्फ असेसमेंट की सुविधा खत्म कर दी। यानी मकान मालिक आर्किटेक्ट के मार्फत गणना कर कंपाउंडिंग नहीं करा सकते हैं।
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