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स्वच्छता में नंबर वन इंदौर आम जनता की सुनवाई में दसवें पायदान पर

July 23, 2025

  • 9 जिले बी कैटेगरी पर ही अटके, सीएम के गृहजिले ने इंदौर को 5 पायदान पीछे छोड़ा

इंदौर। आठवीं बार भी स्वच्छता में नंबर वन आने वाला इंदौर जिला आम जनता की सुनवाई में दसवें पायदान पर ही अटककर रह गया है। मुख्यमंत्री के गृहक्षेत्र उज्जैन ने आम जनता के दु:ख और परेशानी को दूर करने में इंदौर को भी पीछे छोड़ दिया है। हालांकि सबसे ज्यादा शिकायत प्राप्त होने वाले जिलों में इंदौर ग्वालियर के बाद दूसरे स्थान पर है। ग्वालियर में जहां 17000 से अधिक शिकायतें मुख्यमंत्री के पोर्टल पर की गई हैं, वहीं इंदौर में यह आंकड़ा 16808 है। तीसरे पायदान पर भोपाल 16528 शिकायतों के साथ बना हुआ है।

मुख्यमंत्री के पास पहुंची आम जनता की शिकायतों की सुनवाई करने में गुना, सिंगरौली, रायसेन, कटनी, सीहोर, उज्जैन, सागर, छिंदवाड़ा, छतरपुर के बाद दसवें पायदान पर इंदौर जिले का नाम शामिल किया गया है। टॉप 10 जिलों ने 80 से लेकर 85 प्रतिशत तक समस्याओं का निराकरण किया है। संतुष्टि के साथ बंद शिकायतों के आंकड़ों में टॉप 10 जिलों ने 49 प्रतिशत से लेकर 52 प्रतिशत तक की सफलता हासिल की है। ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश शासन ने 55 जिलों को दो ग्रुप में विभाजित कर रखा है। पहले ग्रुप में 6000 से अधिक शिकायतों वाले 28 जिलों को शामिल किया गया है, वहीं दूसरे ग्रुप में 5 से 1 हजार शिकायतें वाले 27 जिले रखे गए हैं।


सबसे ज्यादा शिकायत वाले जिले
संतुष्टि के साथ शिकायतों को बंद करने में इंदौर जिला 12 प्रतिशत ही काम कर पाया है। हालांकि अधिकारी शिकायतों की संख्या अधिक होना बता रहे हैं। 55 जिलों में सबसे अधिक शिकायत ग्वालियर जिले से 17000 प्राप्त हुई हंै। 16000 से अधिक शिकायतों वाले जिलों में इंदौर और भोपाल जिले ही शामिल हैं। 13000 शिकायतों वाले जिलों में जबलपुर, 12 हजार की श्रेणी में सागर, छतरपुर, रीवा, विदिशा, भिंड, मुरैना हैं। अधिकारियों का कहना है कि शिकायत अधिक होने के कारण निराकरण की संख्या भी कम है।

हालांकि इस बार जारी की गई आंकड़ों की सूची में ए ग्रेड वाले जिले बढ़ गए हैं। सिर्फ 9 जिले ही बी ग्रेड की श्रेणी में रहकर पिछड़े नजर आ रहे हैं। पहले ग्रुप से 6 जिलों सतना, शहडोल, मुरैना, भोपाल, शिवपुरी और दमोह व दूसरे ग्रुप में 3 जिलों अनूपपुर, आलीराजपुर और झाबुआ को बी रैंकिंग मिली है। यह सभी जिले 80 फीसदी से कम निराकरण की सूची में शामिल हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल जिला भी बी श्रेणी में शामिल है। 16529 शिकायतों में यहां सिर्फ 78 प्रतिशत का ही निराकरण हो पाया है।

मुख्यमंत्री की सीधी निगरानी… शिकायत बढ़ी, निराकरण भी
सीएम हेल्पलाइन को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा सीधे समीक्षा की जा रही है। वहीं लंबित शिकायतों को लेकर कलेक्टरों को फटकार भी मिल रही है। इसके बाद शिकायतों की संख्या अचानक ही बढ़ गई है। इंदौर जिले में जहां हर महीने 10 से 12000 की शिकायतें सामने आती थीं, वही अब आंकड़ा बढक़र 16 से 17 हजार तक पहुंच गया है। इंदौर जिले के प्राप्त शिकायतों के आंकड़ों के अनुसार 16808 शिकायतें प्राप्त हुई थीं। इनमें से 50 प्रतिशत शिकायतों का निराकरण कर दिया गया है। लगभग 12 फीसदी ऐसी शिकायतें शामिल हैं, जो 50 दिन से ज्यादा समय से लंबित बताई जाती हैं। वहीं 10 फीसदी शिकायतों के निराकरण को निम्न गुणवत्ता की श्रेणी में रखा गया है। ज्ञात हो कि कलेक्टर ने हाल ही में अधिकारियों को निर्देश जारी किए थे कि 80 प्रतिशत से अधिक शिकायतों का निराकरण उच्च गुणवत्ता का अनिवार्य है, जिसके बाद शिकायतें बंद होने में काफी गिरावट आई और आम जनता की सुनवाई करने में अधिकारी रुचि लेने लगे हैं। 25 जुलाई के बाद से लंबित शिकायतों को लेकर कलेक्टर ने 5000 के पुरस्कार की भी घोषणा की है।

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