
कलेक्टर ने लेन-देन की एक और दुकान की बंद, बैंक व सरकारी विभाग अब अलग से आदेश नहीं मांगेंगे
इंदौर। राजस्व अमले (revenue staff) में लगातार कसावट कलेक्टर (Collector) आशीष सिंह (Ashish Singh) द्वारा की जा रही है, जिसके चलते तहसीलदारों (Tehsildars) की कोर्ट में कैमरे (Cameras) भी लगवाए जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ कल डायवर्शन को लेकर भी एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया, जिसमें मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता के तहत खसरा प्रारुप-1 में डायवर्शन की टीप को ही आदेश मानने को कहा गया है। यानी राजस्व अभिलेख खसरा की प्रमाणित कॉपी को आदेश मानकर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी और बैंक अन्य वित्तीय संस्थाओं, नगरीय निकाय या अन्य सरकारी महकमों द्वारा अलग से डायवर्शन आदेश नहीं मांगा जाएगा और 15 दिन की निर्धारित समयावधि में अगर एसडीओ कोई निर्णय नहीं लेते हैं तो प्रविष्टि को दर्ज करते हुए रिकॉर्ड को अपडेट किया जाएगा।
जिस तरह नगर निगम में व्यापमं से भर्ती हुए इंजीनियरों ने लूटपाट मचा रखी, जिसके चलते अभी उनके तबादले भी किए गए। उसी तरह की स्थिति प्रशासन के राजस्व विभाग की है, जिसमें राजस्व निरीक्षक, पटवारी से लेकर तहसीलदारों द्वारा नामांतरण, बंटवारे, एनओसी से लेकर डायवर्शन सहित अन्य कार्यों के लिए भी लाखों रुपए की राशि की मांग की जाती है। यहां तक कि एक किसान को अपनी ही जमीन का कब्जा दिलवाने के लिए जनसुनवाई में आत्महत्या तक करना पड़ी। उसके बाद राजस्व अमले में कसावट कलेक्टर द्वारा शुरू की गई और अब तय समय में प्रकरणों का निराकरण ना करने पर जुर्माना आरोपित होगा और इसकी राशि भी संबंधित राजस्व अधिकारी से ही वसूल की जाएगी। वहीं इसी कड़ी में कल कलेक्टर आशीष सिंह ने डायवर्शन को लेकर भी एक आदेश जारी किया, जिसमें यह स्पष्ट कहा गया कि भू-अभिलेख कार्यालय ग्वालियर में 05.08.2021 को कई निर्देश जारी किए थे, जिसमें भू-लेख पोर्टल पर डायवर्शन की सूचना की पुष्टि की समयावधि 20 से घटाकर 15 दिन की गई और इस बीच में अगर कोई निर्णय एसडीओ द्वारा नहीं लिया जाता है तो अवधि पूर्ण होने पर खसरा प्रारुप-1 के कॉलम-12 में टीप और डायवर्शन की सूचना, चालान की राशि की प्रविष्टि करते हुए रिकॉर्ड को अपडेट करने का प्रावधान किया गया है। आवेदक के भूमि के डायवर्शन के ऑनलाइन किए गए आवेदन को ही तकनीकी रूप से डायवर्शन की सूचना कहते हैं और 15 दिन के पश्चात नियम के मुताबिक स्वमेव ही डीम्ड डायवर्शन हो जाता है। बावजूद इसके कई बैंक अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ-साथ निगम या अन्य सरकारी विभागों द्वारा आवदेकों से जमीन के डायवर्शन अलग से मांगा जाता है और खसरे के कॉलम 12 में अंकित डायवर्शन टीप को आदेश के रूप में नहीं मानते हैं। जबकि इसके लिए आवेदक को पृथक से एसडीओ द्वारा स्वीकृत आदेश की जरूरत ही नहीं है।
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