
इंदौर। मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम के इंदौर कार्यालय ने नोटिफिकेशन करते हुए इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर योजना को घोषित कर दिया है। 3200 एकड़ पर यह कॉरिडोर की योजना अमल में लाई जाना है, जिसके लिए लैंड पूलिंग एक्ट के प्रावधानों का इस्तेमाल किया जाएगा। 17 गांवों की योजना में शामिल जमीनों के खसरा नम्बरों का प्रकाशन भी एमपीआईडीसी ने कर दिया है और उसके आधार पर 30 दिन में दावे-आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं। जमीन मालिकों को प्लॉटिंग एरिया का 50 प्रतिशत हिस्सा मुआवजे के बदले दिया जाएगा। एमपीआईडीसी द्वारा मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क भी अमल में लाया जा रहा है, जिसमें 255 एकड़ जमीन शामिल की गई है।
कुछ समय पूर्व जमीन मालिकों ने भू-अर्जन प्रक्रिया को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी। उसके बाद शासन आदेश पर 85 किसानों को दो गुना बढ़ा हुआ मुआवजा देने का निर्णय भी हुआ और नए सिरे से अवॉर्ड पारित किया गया, जिसके चलते 30 करोड़ 52 लाख रुपए की राशि भी मंजूर की गई, जिसके चलते हाईकोर्ट ने भी अपना स्टे निरस्त कर दिया था। इंदौर एयरपोर्ट और शहर से सिर्फ 30 किलोमीटर की दूरी पर बन रहे इस लॉजिस्टिक पार्क पर 1100 करोड़ रुपए की राशि विकास कार्यों पर खर्च की जा रही है, जिसमें 90 हेक्टेयर निजी और 22 हेक्टेयर सरकारी जमीन शामिल है।
दूसरी तरफ इंदौर-पीथमपुर कॉरिडोर की योजना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है। 300-300 मीटर कॉरिडोर के दोनों तरफ की जमीनें इसमें शामिल की गई है, जिसमें औद्योगिक, व्यवसायिक, आवासीय सहित अन्य गतिविधियां आएंगी। इस कॉरिडोर में लैंड पूलिंग के तहत भू-अधिग्रहण किया जाएगा। मगर जिस तरह से इंदौर विकास प्राधिकरण 50 प्रतिशत जमीन सीधे जमीन मालिकों को सौंप देता है उसकी बजाय एमपीआईडीसी प्लॉटिंग एरिया का 50 प्रतिशत हिस्सा देगा, जिससे जमीन मालिकों को अतिरिक्त अनुमति या विकास करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। बल्कि उन्हें विकसित भूखंड सभी अनुमतियों के साथ मिलेंगे, जिसके चलते वे सीधे उसका उपयोग कर सकेंगे। एमपीआईडीसी इंदौर-उज्जैन के कार्यकारी संचालक राजेश राठौर के मुताबिक 30 दिन का समय दावे-आपत्तियों के लिए दिया गया है, जिसमें कोर्डियावर्डी, नैनोद, रिजलाय, बिसलावदा, नावदा पंथ, श्रीराम तलावली, सिंदौड़ा, सिंदौड़ी, शिवखेड़ा, नरलाय, मोकलाय, डेहरी, सोनवाय, भैंसलाय, बागोदा, टीही और धन्नड़ के खसरा नम्बरों का प्रकाशन भी कर दिया है। इस कॉरिडोर के विकास करने पर 2 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च होंगे।
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