
इंदौर। शहरों में बढ़ते प्रदूषण (pollution) का असर अब सिर्फ फेफड़ों (lungs) पर ही नहीं, बल्कि दिल की सेहत पर भी गंभीर रूप से दिखाई देने लगा है। चिकित्सकों (doctors) के अनुसार हवा में घुलते सूक्ष्म कण, धूल, धुआं और जहरीली गैसें सीधे रक्तवाहिनियों पर असर डालती हैं, जिससे हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
इंदौर सहित देश के कई शहरों में पिछले एक दशक में हृदय रोग के मरीजों की संख्या लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ी है। कार्डियोलॉजिस्ट मुख्य संयोजक एवं साइंटिफिक चेयरमैन डॉ. एके पंचोलिया ने कहा कि प्रदूषित हवा में मौजूद सूक्ष्म कण शरीर में सूजन बढ़ाते हैं और रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया को तेज करते हैं, जिससे अचानक हृदयाघात की स्थिति बन जाती है। उन्होंने बताया कि अब 30 से 40 वर्ष के युवाओं में भी हृदय रोग के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। इसी कारण इन दिनों देश में युवाओं के हृदय रोग से मरने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। लोग इन मौतों का कारण समझ नहीं पा रहे हैं, लेकिन डाक्टर इसे खान-पान से जोड़ रहे हैं। कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया इंदौर चैप्टर द्वारा आयोजित दो दिवसीय छठी नेशनल कार्डियो प्रिवेंट कॉन्फ्रेंस का अंतिम दिन जनता के लिए बेहद खास रहा।
बाजार के जूस और पैकेज्ड फूड बढ़ा रहे खतरा
ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. राकेश जैन ने कहा कि अकसर लोग कहते हैं कि हमारे पूर्वज सौ सालों से यह खाना खाते आए हैं, लेकिन उस समय उनका जीवन पूरी तरह अलग था। वे रोजाना पैदल चलते थे, साइकिल चलाते थे, खेतों में मेहनत करते थे, जबकि आज के समय में लोग छोटी सी मॉर्निंग वॉक भी छोड़ देते हैं। उन्होंने चेताया कि ज्यादा नमक, शुगर और तली-भुनी चीजें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। बाजार में उपलब्ध जूस और पैकेज्ड फूड को हैल्दी समझकर पीना भी खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इनमें छुपी शुगर और फैट हृदय रोग का खतरा बढ़ाती है। ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ. विद्युत जैन ने नियमित दाल और टोफू खाने की सलाह दी।
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