
इन्दौर। इंदौर क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय को इस वित्तीय वर्ष में 1150 करोड़ रुपए वसूलने का लक्ष्य मिला है। परिवहन मुख्यालय ने पिछले दो सालों से लक्ष्य पूरा करने में पिछड़ रहे इंदौर आरटीओ को निर्देश दिए हैं कि वे अभी से पुराने और बड़े बकायादारों से सख्ती से वसूली करें। आरटीओ द्वारा जब पुराने बकायादारों की सूची बनाई तो इसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। इंदौर आरटीओ को 20 हजार वाहनों से 400 करोड़ से ज्यादा की राशि की वसूली करना है।
परिवहन मुख्यालय से मिले लक्ष्य के बाद जब यह सूची बनकर तैयार हुई तो अधिकारी भी चौंक गए। सूची में कई ऐसे वाहन हैं, जिन्होंने सालों से टैक्स और पेनल्टी की राशि ही जमा नहीं की है, जिसके कारण हर साल यह आंकड़ा बड़ा होता जा रहा है। अधिकारियों की माने तो इनमें कई ऐसे वाहन हैं, जो सालों पहले भंगार होकर खत्म हो चुके हैं। इसके बाद भी सिस्टम में इनका रिकार्ड खत्म नहीं किया गया है, जिसके कारण डेटा बढ़ता ही जा रहा है और इनसे वसूली होना संभव भी नहीं है। इसलिए अधिकारी पहले पिछले साल के बकाया पर फोकस कर रहे हैं। इसके बाद धीरे-धीरे पिछले सालों तक जाएंगे।
वाहनों की जब्ती और नीलामी करेंगे
आरटीओ प्रदीप शर्मा ने बताया कि सूची में शामिल 20 हजार वाहनों में से ज्यादातर सडक़ों से उतर चुके हैं। कई एनओसी लेकर दूसरे राज्य या शहरों में जा चुके हैं। कई वाहन स्क्रैप भी हो चुके हैं। इतने सारे वाहनों के डेटा में ऐसे वाहनों को अलग करने के लिए बहुत ज्यादा समय और स्टाफ की जरुरत है, जो इस वक्त हमारे पास नहीं है। इसलिए हम इसे चरणबद्ध तरीके से करने जा रहे हैं। पहले पिछले साल के बकाया वाले वाहनों को विभाग के सभी बाबुओं में बांट दिया गया है। सभी ऐसे वाहनों के मालिकों को फोन कर रहे हैं, उनके पतों पर भी जा रहे हैं। इससे टैक्स जमा होना भी शुरू हुआ है। जो टैक्स जमा नहीं करेंगे, उनके वाहनों को जब्त करने के साथ ही नीलामी कर वसूली की जाएगी।
कई वाहनों का रिकार्ड ही गायब
सूची में सैकड़ों ऐसे वाहन हैं, जो 40 से 50 साल पुराने हैं। विभाग पहले वाहनों का डेटा रजिस्टरों में रखता था। 2002 में स्मार्टचीप कंपनी के आने के बाद कंपनी ने ऑनलाइन डेटा तैयार करना शुरू किया, लेकिन पुराने कई वाहनों का डेटा अपडेट नहीं हो पाया। अब सारा डेटा सेंट्रल सर्वर वाहन पर जा चुका है। इस बीच कई वाहनों का डेटा ही नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण पुराने वाहनों से वसूली में काफी परेशानी आ रही है। कई वाहनों के नंबर हैं, लेकिन उनके मालिकों की जानकारी नहीं मिली।
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