
इंदौर, प्रियंका जैन देशपांडे।
केंद्र शासन (Central Government) द्वारा कलेक्टर (Collector) को दी गई शक्तियां इंदौर (Indore) के बेऔलाद दंपतियों (childless couples) के आस की डोर के साथ खुशियों की चाबी बन गई है। अपने कार्यकाल में कलेक्टर द्वारा तेजी से लिए गए निर्णयों ने न केवल 40 अनाथ बच्चों को माता-पिता का प्यार दिलाया है, बल्कि दंपतियों के जीने की आशा को बढ़ा दिया है। अब बच्चों के लिए कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं करना पड़ रहा है। सरल और तेजी से प्रकरणों को चलाया जा रहा है, ताकि कोई भी मासूम मां-बाप के प्यार से अछूता न रह सके ।
इंदौर में संवेदनशील कलेक्टर के रूप में अपनी पहचान बना चुके आशीष सिंह अनाथ बच्चों के साथ-साथ बेऔलाद दंपतियों की भी दुआएं ले रहे हैं। किसी के घर का चिराग रोशन करने से ज्यादा पुण्य का काम क्या होगा। अब तक डिलेवरी कराकर डॉक्टर यह सुख मां-बाप को देते आए हैं, लेकिन एक्ट में बदलाव किए जाने के बाद इंदौर में कलेक्टर बेऔलादों को तेजी से अनाथ बच्चों और सूनी कोख वाली माताओं का मिलन करा रहे हैं। कलेक्टर रेडक्रास फंड व इंदौर के दानवीरों को सीधे जरूरतमंदों से जोड़ सेवा सेतु ऐप बनाकर मदद कर रहे हैं ।
यह हुआ बदलाव
केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण ने (कारा) जेजे एक्ट में संशोधन करते हुए बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया आसान कर दी है। कोर्ट द्वारा लिए जाने वाले फैसले लेने का अधिकार कलेक्टर को दे दिया गया है। जेजे एक्ट में नवंबर 2021 में हुए संशोधन के बाद डीएम और अतिरिक्त जिलाधीश को पावर दिए गए हैं कि वे दत्तक आदेश जेजे एक्ट की धारा 61 के आधार पर अनाथ बच्चों को माता-पिता उपलब्ध कराएंगे।
अब तक इन बच्चों को मिला परिवार
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा साल 2022-23 में 29 बच्चों को गोद दिया गया है, वहीं 2024 में 31 व वर्ष 2024-25 में 18 और वर्तमान में इस वित्तीय वर्ष में अब तक 8 बच्चे मां-बाप को सौंपे जा चुके हैं। कलेक्टर आशीष सिंह के कार्यकाल में ही 40 बच्चे गोद दिए जा चुके हैं। इनमें से लगभग 9 बच्चों को विदेश के दंपतियों ने परिवार का सदस्य बनाया है। महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी रजनीश सिन्हा के अनुसार एक्ट में बदलाव के बाद प्रक्रिया में तेजी आई है। प्रशासन संवेदनशील विषय पर तेजी से निर्णय ले रहा है। जांच के बाद ही बच्चों को मां-बाप के सुपुर्द किया जा रहा है। विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार विदेश जाने वालों में यूएसए में 7, फ्रांस 2, फिनलैंड, माल्टा, इटली के दंपत्तियों ने 1-1 बच्चे गोद लिए हैं। इनमें दिव्यांग बच्चे-बच्चियों को भी गोद लेने वाले सामने आए हैं।
पेंडिंग मामले विड्रा
इंदौर जिले में अब तक कई बच्चों को एडॉप्शन की प्रक्रिया के लिए फ्री किया गया है, जिनके प्रकरण संस्थाओं द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत किए जा चुके हैं, लेकिन नए नियम आते ही कोर्ट में लगे सभी प्रकरणों को विड्रॉ किया जा रहा है। इंदौर की तीनों संस्थाओं ने प्रक्रिया शुरू कर दी है।
ये है गोद लेने की प्रक्रिया
निसंतान दंपतियों को बच्चा गोद लेने के लिए कारा वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन के बाद लॉगिन आईडी पासवर्ड जारी होते हैं। डॉक्यूमेंट अपलोड की प्रक्रिया के बाद 60 दिन के अंदर इन डॉक्यूमेंट की जांच की जाती है और वेटिंग नंबर दिया जाता है। परिवार की स्वास्थ्य की जांच कर एजेंसियां रिपोर्ट जारी करेंगी। स्वीकृति के बाद एजेंसियों के माध्यम से बच्चे की फोटो और जानकारी अपलोड की जाएगी, जिसके बाद 30 दिन के अंदर-अंदर परिवार को स्वीकृति देनी होगी। 3 बार मौका दिया जाएगा, उसके बाद प्रकरण रिजेक्ट ही जाएगा और नए सिरे से सारी प्रक्रिया करनी होगी। एक्ट में संशोधन करने के साथ ही कलेक्टर को पावर दिए गए हैं कि यदि किसी मामले में 1 दिन में फैसला किया जाना अनिवार्य है तो वह यह निर्णय ले सकते हैं।
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