
अपीलीय कोर्ट ने दोनो आरोपियों को किया दोषमुक्त
इंदौर। एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी (traffic policeman) के साथ मारपीट (assaulted) एवं शासकीय कार्य (government work) में बाधा डालने (obstructing) के प्रकरण में अभियोजन पक्ष उसकी ड्यूटी का प्रमाण ही कोर्ट में पेश नहीं कर पाया।
घटना 29 अक्टूबर 2007 को दिन के करीब साढ़े 11 बजे पलासिया चौराहे के पास की है। अभियोजन कहानी के अनुसार ड्यूटी पर तैनात ट्रैफिक पुलिसकर्मी भगवान गुर्जर का मेन रोड पर एक सिटी वैन खड़ी कर रोड जाम करने एवं उसे वहां से हटाने की बात पर विवाद हुआ। आरोप था कि इसी विवाद में गाड़ी चालक एवं हेल्पर आरोपी विक्रम यादव निवासी नेहरू नगर एवं अब्दुल रज्जाक निवासी गीता नगर ने उक्त पुलिसकर्मी के साथ मारपीट की और वर्दी फाड़कर नेमप्लेट तोड़ दी। रिपोर्ट पर पलासिया पुलिस ने केस दर्ज किया। विचारण न्यायालय ने आईपीसी की धारा 353, 332 में दोषी पाकर इन्हें तीन माह के साधारण कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई। इस फैसले के विरुद्ध इन्होंने दांडिक अपील दायर की। इसमें कहा गया कि घटना के किसी स्वतंत्र साक्षी ने अभियोजन कहानी का समर्थन नहीं किया। अन्य तथ्य भी विरोधाभासी थे, इसके बावजूद इन्हें दंडित किया गया। अपर सत्र न्यायाधीश डा. शुभ्रा सिंह की कोर्ट ने दांडिक अपील स्वीकार करते हुए विचारण न्यायालय के निर्णय को अपास्त कर इन्हें दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन ऐसे कोई दस्तावेज अभिलेख पर प्रस्तुत नहीं कर पाया कि घटना दिनांक एवं समय पर फरियादी लोकसेवक के रूप में कर्त्तव्य का निर्वहन कर रहा था। ड्यूटी के संबंध में महत्वपूर्ण दस्तावेज उस समय के रोजनामचा सानहा के बारे में कोर्ट को बताया गया कि वह नष्ट हो चुका है। इसके अलावा किसी भी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा भी पुलिसकर्मी भगवान के घटना के समय कर्त्तव्य पर उपस्थित रहने और कर्त्तव्य के पालन में घटनास्थल पर कार्रवाई करने से संबंधित कोई भी प्रमाण पत्र पेश नहीं किया गया है।
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