
इंदौर। अग्निबाण की एक और खबर न सिर्फ सही निकली, बल्कि सीबीआई ने अपनी जांच पूरी करते हुए इंदौर में 455 करोड़ का सबसे बड़ा जमीनी सौदा करने वाली कम्पनी के कर्ताधर्ताओं को दबोच भी लिया। 183 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी के मामले में उक्त जमीनी सौदा करने वाली फ्रॉड कम्पनी तीर्थ गोपीकॉन के महेश कुम्भानी सहित अन्य को गिरफ्तार कर कोर्ट से उनका रिमांड भी पूछताछ के लिए मांग लिया। इस कम्पनी ने टेंडर के जरिए एमओजी लाइन स्थित कुक्कुटपालन केन्द्र की 17 एकड़ जमीन खरीदने के प्रयास किए और स्मार्ट सिटी बोर्ड ने टेंडर को मंजूरी भी दे डाली।
गोपी तीर्थकॉन नामक यह कम्पनी मूल रूप से अहमदाबाद की है और इंदौर में भी इसका दफ्तर है। कम्पनी ने निगम स्मार्ट सिटी सहित अन्य सरकारी विभागों के पूर्व में ठेके भी लिए हैं। कम्पनी पर आरोप लगा कि उसने 184 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी का इस्तेमाल ठेकों को हासिल करने में किया है। पिछले दिनों जबलपुर हाईकोर्ट ने इस फर्जी बैंक गारंटी मामले की जांच करने का जिम्मा सीबीआई को सौंपा, ताकि पता लग सके कि फर्जी बैंक गारंटी देने के जो आरोप कम्पनी ने बैंक पर लगाए हैं वे सही हैं या नहीं।
दरअसल, कम्पनी ने कोलकाता स्थित पीएनबी ब्रांच पर ये आरोप लगाए थे कि उसने फर्जी बैंक गारंटी बनाकर दे डाली और इस आशय की कम्पनी की ओर से इंदौर के रावजी बाजार थाने पर शिकायत भी दर्ज कराई गई। दरअसल, कम्पनी ने इंदौर में स्मार्ट सिटी सहित कई कार्यों के ठेके भी लिए थे। जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच की और यह पाया कि 183 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी में कम्पनी खुद दोषी है, जिसके चलते कम्पनी के प्रबंधक महेश कुम्भानी और गौरव धाकड़ सहित एक अन्य को गिरफ्तार भी कर लिया और कोर्ट में प्रस्तुत कर पूछताछ के लिए रिमांड मांगा गया। कम्पनी पर आरोप है कि उसने मध्यप्रदेश जल निगम को बोगस बैंक गारंटी प्रस्तुत की। यह भी उल्लेखनीय है कि सीबीआई की टीम ने पंजाब नेशनल बैंक से जारी हुई फर्जी गारंटी के मामले में बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक गोविंदचंद्र हंसदा और मोहम्मद फिरोज को कोलकाता से गिरफ्तार किया।
कम्पनी पर आरोप है कि उसने इस तरह की कई फर्जी बैंक गारंटियों का इस्तेमाल करते हुए सिंचाई परियोजनाओं सहित अन्य टेंडर हासिल किए हैं। इंदौर में 455 करोड़ का सबसे बड़ा जमीनी सौदा भी इसी कम्पनी ने किया। हालांकि उसने नोटिस के जवाब में राशि जमा नहीं की। अग्निबाण ने तब ही कलेक्टर, निगमायुक्त और स्मार्ट सिटी सीईओ को इस बारे में चेताया था और अंतत: यह बात सही भी साबित हुई। स्मार्ट सिटी सीईओ दिव्यांक सिंह का कहना है कि कम्पनी को अभी हमने जमीन का कब्जा नहीं दिया है और तीन साल में उसे पैसा देना था और पिछले दिनों राशि जमा कराने का नोटिस जारी हुआ, मगर कम्पनी की ओर से अभी तक राशि जमा नहीं की गई है। हमारे पास टेंडर के साथ सिक्योरिटी डिपॉजिट का पैसा भी जमा है। यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि स्मार्ट सिटी बोर्ड ने एक साथ इतनी बड़ी राशि मिलने पर इंदौर की 14 प्रमुख सडक़ों का निर्माण भी करने का निर्णय ले लिया था, मगर अब जमीन का यह पूरा सौदा ही उलझ गया है, क्योंकि गोपी तीर्थकॉन कम्पनी ही फ्रॉड साबित हुई और सीबीआई ने इसके कर्ताधर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया है। इस बारे में आज सुबह जब कलेक्टर शिवम वर्मा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा जो कार्रवाई की गई है उसके मुताबिक अब जमीन का टेंडर निरस्त करवाएंगे और नए सिरे से इसकी प्रक्रिया की जाएगी। अभी कम्पनी के 9 करोड़ बैंक गारंटी के जमा भी हैं।
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