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दिल्ली के पुराने किले में होगी पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ की खोज, ASI ने दी खुदाई की मंजूरी

March 11, 2025

नई दिल्ली। दिल्ली (Delhi) में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ (Pandavas capital Indraprastha) की खोज के लिए एक बार फिर पुराने किले में खुदाई (Excavation old fort) की जाएगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) (Archaeological Survey of India(ASI) ने इसकी मंजूरी दी है। आजादी के बाद यहां छठी बार खुदाई की जाएगी। खास बात यह है कि इस बार किले के अंदर अलग-अलग क्षेत्रों में खुदाई की जाएगी। जरूरत पड़ने पर पहले से की गई खुदाई वाले क्षेत्र को दोबारा खोला जा सकता है।


इसके लिए अधिकारियों की तैनाती कर दी गई है। ऐसे में इतिहासकारों, शोधार्थियों के साथ इतिहास में रुचि रखने वाले लोग जल्द ही एएसआई की नई खोज से रू-ब-रू हो सकते हैं। पिछली बार लगभग छह मीटर की गहराई तक खुदाई की गई थी।

एएसआई अधिकारियों के मुताबिक, इस बार और गहराई तक खुदाई की जाएगी। इस उत्खनन से इंद्रप्रस्थ के प्राचीन शहर के बारे में जानकारी मिलने की उम्मीद है। पहले की खुदाई में मौर्य काल, शुंग, कुषाण, गुप्त, राजपूत काल, सल्तनत और मुगल काल के अवशेष मिल चुके हैं। हालांकि, पुरातात्विक आधार पर यह दावा किया जा सके कि पुराना किला में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी, इसके अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं। ऐसे में एएसआई फिर से इंद्रप्रस्थ को खोजने के लिए कोशिश करने जा रहा है। खुदाई के दौरान परत दर परत अलग-अलग काल खंडों के साक्ष्य जुटाए जाएंगे।

एएसआई की प्रवक्ता ने बताया कि पुराना किला में खुदाई का लाइसेंस दे दिया गया है। यहां जल्द ही खुदाई का काम शुरू कर दिया जाएगा।

पांच बार पहले भी हुए प्रयास
एएसआई द्वारा 1954-55 और 1969-73 के दौरान खुदाई की गई थी। इसके बाद 2013-14 और 2017-18 में भी यहां साक्ष्य ढूंढने का काम हुआ। 2023 में पांचवीं बार खुदाई हुई। पूर्व पुरातत्ववेत्ता और पद्म विभूषण बीबी लाल की इसमें अहम भूमिका मानी जाती है जिन्होंने काम शुरू कराया था।

टीले पर निर्माण के मिल सकते हैं सबूत
इतिहासकारों के अनुसार, पुराना किला उस टीले पर स्थित हो सकता है, जिसे कभी पांडवों ने राजधानी बनाया था। किले का निर्माण सबसे पहले 1533 में मुगल बादशाह हुमायूं ने शुरू करवाया था। 1540 में शेरशाह सूरी ने किले का निर्माण आगे बढ़ाया। 1555 में हुमायूं ने किले का निर्माण पूरा करवाया था।

डॉ. वसंत स्वर्णकार, म्यूजियम निदेशक, एएसआई ने कहा, ”पहले हुई खुदाई में कुंती मंदिर स्थल पर विष्णु की 900 साल पुरानी राजपूत काल की प्रतिमा मिली थी। 1200 वर्ष पुरानी गजलक्ष्मी की मूर्ति, गणेश की मूर्ति आदि मिली थी।”

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