
नई दिल्ली। भारत की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर 3 प्रतिशत से घटकर 1.2 प्रतिशत पर आने की संभावना है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल में भारत का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक घटकर 1.2% पर आ सकता है। जबकि मार्च में यह वृद्धि दर 3 प्रतिशत दर्ज की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि यह गिरावट आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती की वजह से हो सकती है। खास तौर पर खनन और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में गिरावट आई है।
इसमें कहा गया कि आईआईपी अप्रैल 2024 के 5.2 प्रतिशत से काफी कम रहने की उम्मीद है। यह देश के अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधी में मंदी का संकेत है। रिपोर्ट के अनुसार आईआईपी की मार्च 2025 की रिपोर्ट में अप्रैल में मंदी का संकेत दिया गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से टैरिफ की घोषणा के बाद वैश्विक व्यापार अनिश्चितता बढ़ने से यह स्थिति पैदा हुई। आईआईपी में 30 से 35 प्रतिशत योगदान निर्यात का है, जिसके स्पष्टता आने तक दबाव में रहने की संभावना है।
आरबीआई की नवीनतम बुलेटिन में बताया गया कि अप्रैल में ई-वे बील और टोल संग्रह में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मंदी देखी गई। इसके अलावा, पेट्रोलियम की खपत में लगातार तीसरे महीने में गिरावट आई है। अप्रैल में व्यापार घाटा में बढ़त दर्ज की गई। अप्रैल में व्यापार घाटा 26.4 अरब डॉलर रहा, जो कि पिछले साल 19.2 अरब डॉलर था। निर्माण क्षेत्रों खासकर स्टील खपत और सीमेंट उत्पादन में अप्रैल 2025 में नरमी देखी गई। रिपोर्ट में कहा गाया कि आईआईपी में करीब 40 प्रतिशत योगदान देने वाले कोर सेक्टर की वृद्धि दर अप्रैल में घटकर आठ महीने के निचले स्तर 0.5 प्रतिशत पर आ गई। जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत थी।
मासिक आधार पर, प्राकृतिक गैस को छोड़कर अन्य सभी सात क्षेत्रों में गिरावट देखी गई। रिफाइनरी उत्पादों, उर्वरकों और कच्चे तेल में साल दर साल नकारात्मक वृद्धि देखी गई। जबकि सीमेंट, कोयला , स्टील , बिजली और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में अप्रैल में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि मार्च की तुलना में इसमें बहुत तेजी से गिरावट आई। यूबीआई का कहना है कि अप्रैल 2025 में सीमेंट (-16.7% मासिक) और स्टील (-10.0 प्रतिशत मासिक) उत्पादन में गिरावट के कारण इंटरमीडिएट, इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण वस्तुओं की स्थिति पिछले महीने की तुलना में खराब हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार 25 अप्रैल के आईआईपी में समग्र मांग में सुधार कमजोर बना रह सकता है, जैसा की पिछले महीनों में देखा गया था। अनुमान लगाया गया है कि समग्र उपभोक्ता आईआईपी मार्च के स्थिर स्तर से नकारात्मक क्षेत्र में पहुंच जाएगा। इसमें आगे कहा गया कि उपभोग मांग मुख्य रूप से शहरी मांग पर आधारित हो सकती है, जबकि अप्रैल में ग्रामीण मांग और कमजोर हो सकती है। इसके अलावा, पूंजीगत वस्तुओं की आईआईपी वृद्धि में पिछले महीने की तुलना में अप्रैल में सुधार होने की उम्मीद है। अप्रैल महीने के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े 28 मई को जारी किए जाएंगे। इससे देश की विनिर्माण गति और आर्थिक गतिविधि के बारे में जानकारी मिलेगी।
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