
इंदौर। मेट्रो प्रोजेक्ट में चल रही ढिलाई पर जहां कल एमडी मनीष सिंह ने बैठक लेकर कड़ी फटकार लगाई, वहीं दूसरी तरफ इंदौर हाईकोर्ट पहुंचकर उन्होंने चीफ जस्टिस को वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए प्रेजेंटेशन भी दिया। दरअसल इंदौर मेट्रो में अंडरग्राउंड, जो साढ़े 4 किलोमीटर का कॉरिडोर बनना है, वह एमजी रोड पर ट्रेजर आईलैंड मॉल के पास से शुरू होगा और इसके लिए इंदौर हाईकोर्ट के पोर्च में स्थित लगभग 60 हजार स्क्वेयर फीट जमीन अस्थायी रूप से हासिल की जाएगी। चीफ जस्टिस इस प्रेजेंटेशन से संतुष्ट नजर आए और इंदौर हाईकोर्ट के एडमिनिस्ट्रेटिव जस्टिस सहित अन्य ने भी इस प्रेजेंटेशन को देखने के बाद सहमति जताई। अब जल्द ही मेट्रो रेल कार्पोरेशन और हाईकोर्ट के बीच अनुबंध होगा, जिसके जरिए अस्थायी रूप से इस जमीन का कब्जा मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए लिया जाएगा। हालांकि हाईकोर्ट परिसर के अंदर खुदाई का काम सालभर बाद शुरू होगा, क्योंकि तब तक का समय टेंडरिंग सहित अन्य प्रक्रिया में लगेगा।
इंदौर मेट्रो का साढ़े 32 किलोमीटर कॉरिडोर एयरपोर्ट से गांधी नगर, सुपर कॉरिडोर, एमआर-10 होते हुए विजय नगर, रेडिसन, रोबोट चौराहा और वहां से पलासिया होते हुए एमजी रोड तक एलिवेटेड रहेगा। साढ़े 27 किलोमीटर इंदौर मेट्रो एलिवेटेड रहेगी, जबकि मध्य क्षेत्र में साढ़े 4 किलोमीटर का हिस्सा अंडरग्राउंड रहेगा, जो कि एमजी रोड टीआई मॉल से शुरू होकर राजवाड़ा, बड़ा गणपति होते हुए एयरपोर्ट तक जाएगा। कल अचानक इंदौर आए मेट्रो रेल कार्पोरेशन के एमडी मनीष सिंह ने पहले तो मेट्रो से जुड़े कंसल्टेंट, डायरेक्टर और अन्य अधिकारियों की बैठक ली और काम में आ रही ढिलाई पर फटकार लगाई और दो दिन तक अनावश्यक काम बंद रखने पर भी कड़ी आपत्ति ली। सिंह के मुताबिक पटरियों के काम में तेजी लाने, श्रमिकों की संख्या बढ़ाने के साथ ही सितम्बर में होने वाले ट्रायल रन को समयसीमा में ही किया जाएगा। 10 दिन बाद वे फिर समीक्षा बैठक कर मैदानी निरीक्षण भी करेंगे, वहीं सिंह ने इंदौर हाईकोर्ट पहुंचकर अंडरग्राउंड मेट्रो का प्रेजेंटेशन भी दिया, जिसमें वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए जबलपुर में मौजूद चीफ जस्टिस भी शामिल हुए।
इंदौर हाईकोर्ट के भी जस्टिस और प्रिंसिपल रजिस्ट्रार भी मौजूद रहे। दरअसल मेट्रो कार्पोरेशन को इंदौर हाईकोर्ट के पोर्च गार्डन की लगभग 60 हजार स्क्वेयर फीट जमीन की आवश्यकता पड़ेगी, जहां पर विशाल गड्ढा खुदेगा और मशीनें वहीं से अंदर खुदाई के लिए जाएंगी और फिर अंदर ही अंदर टनल में खुदाई होते हुए मशीन दूसरे छोर पर एयरपोर्ट की तरफ निकलेगी। इसके लिए हाईकोर्ट की बाउण्ड्रीवॉल भी तोडऩा पड़ेगी, साथ ही गार्डन सहित अन्य निर्माण भी हटेंगे, जिन्हें वापस उसी स्थिति में मेट्रो रेल कार्पोरेशन बनाकर हाईकोर्ट को सौंपेगा। लगभग सालभर बाद यहां पर काम शुरू होगा, क्योंकि तब तक एलिवटेेड कॉरिडोर का निर्माण पलासिया तक होना है और अंडरग्राउंड की टेंडरिंग सहित अन्य प्रक्रिया भी अभी बाकी है।
हाईकोर्ट और मेट्रो कार्पोरेशन के बीच बकायदा अनुबंध होगा और अस्थायी रूप से ये 60 हजार स्क्वेयर फीट जमीन कार्पोरेशन को मिलेगी और काम पूरा होने के बाद जमीन वापस हाईकोर्ट को लौटा दी जाएगी और बाउण्ड्रीवॉल सहित अन्य निर्माण भी रेल कार्पोरेशन करके देगा। कम से कम एक से डेढ़ साल का समय इस अंडरग्राउंड कॉरिडोर को पूरा करने में लगेगा। एमडी द्वारा दिए गए प्रेजेंटेशन से चीफ जस्टिस सहित इंदौर हाईकोर्ट के एडमिनिस्ट्रेटिव जस्टिस और प्रिंसिपल रजिस्ट्रार भी संतुष्ट नजर आए, वहीं इंदौर और भोपाल में चल रहे मेट्रो की प्रगति की समीक्षा भी एमडी मनीष सिंह द्वारा निरंतर की जा रही है। दरअसल सितम्बर माह में ही इंदौर मेट्रो के प्रायोरिटी कॉरिडोर के साढ़े 5 किलोमीटर के हिस्से में ट्रायल रन लिया जाना है।
भोपाल में अब तक 1715 मैट्रिक टन पटरियां प्राप्त हो गई हैं और वाया डक्ट पर लगभग 2 किलोमीटर में बिछाई जा चुकी हैं, वहीं इंदौर में अब तक 2105 मैट्रिक टन पटरियां प्राप्त हो गई हंै और लगभग 3 किलोमीटर वाया डक्ट के साथ एक किलोमीटर लम्बाई में डिपो में भी पटरियां बिछाई जा चुकी हैं। एलएनटी भोपाल और आईएससी टैक्समाको, जो कि इंदौर के ट्रैक कॉन्ट्रैक्टर हैं, उन्हें भी मोबाइल पर निर्देश दिए गए कि बारिश में काम नहीं रूकना चाहिए और उसके लिए आवश्यक अस्थायी इंतजाम किए जाएं, ताकि पटरी वेल्डिंग का काम बाधित न हो, वहीं इंदौर मेट्रो में वाया डक्ट पर प्लिंथ बीम के कार्य को दिन में अनावश्यक बंद रखने के चलते जनरल कंसल्टेंट के परियोजना निदेशक साइमन फौरी और उपपरियोजना निदेशक परशुराम व महाप्रबंधक इंदौर के खिलाफ कड़ी आपत्ति भी जाहिर की।
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