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रेप साबित करने के लिए प्राइवेट पार्ट पर चोट जरूरी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 40 साल बाद सुनाया फैसला

March 10, 2025

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने 40 साल पुराने रेप के एक मामले(a case of rape) में फैसला सुनाते हुए अहम टिप्पणी(Important Comment) भी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोष सिद्ध करने के लिए प्राइवेट पार्ट पर चोट के निशानों का होना ही जरूरी नहीं हैं। इसके लिए अन्य सबूतों को भी आधार बनाया जा सकता है। एक ट्यूशन टीचर पर अपनी ही छात्रा के साथ रेप का आरोप था। टीचर का कहना था कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट्स पर कोई भी निशान नहीं था इसलिए रेप को साबित नहीं किया जा सकता। उसका कहना था कि पीड़िता की मां ने उसपर झूठा आरोप लगाया है।

दोनों ही तर्कों को खारिज करते हुए जस्टिस संदीप मेहता औऱ प्रसन्ना बी की बेंच ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट्स में चोट के निशान नहीं पाए गए थे। हालांकि इसकी वजह से अन्य सबूतों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जस्टिस वराले ने कहा, जरूरी नहीं है कि रेप के हर मामले में पीड़िता के शरीर पर चोट के निशान ही पाए जाएं। कोई भी केस परिस्थितियों पर निर्भर करता है। इसलिए रेप के आरोप साबित करने के लिए पीड़िता के शरीर पर चोट के निशानों को जरूरी नहीं माना जा सकता।


वहीं पीड़िता की मां पर लगाए गए आरोपी के आरोपों को लेकर बेंच ने कहा, इस केस को लेकर इस तरह की बातों की तह में जाने का कोई मतलब नहीं है। हमें ऐसी कोई भी वजह नहीं पता चली है जिसकी वजह से मां अपनी बेटी को पीड़िता बनाए और टीचर को फंसाने के लिए झूठा केस दर्ज करवाए। इसका मां के चरित्र से कोई लेना-देना भी नहीं है। बता दें कि इस केस को थ्री टायर जूडिशल सिस्टम से गुजरने में 40 साल का वक्त लग गया।

घटना 1984 की थी वहीं 1986 में ही ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी ठहरा दिया था। इसके बाद मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट चला गया। यहां ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही करार देने में 26 साल का वक्त लग गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में फैसला सही ठहराए जाने में 15 साल का और वक्त लगा। आरोप था कि 19 मार्च 1984 को ट्यूशन टीचर ने दो अन्य छात्राओं को बाहर भेज दिया और इसके बाद पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया। दो लड़कियों ने दरवाजा खटखटाया लेकिन टीचर ने दरवाजा नहीं खोला। इसके बाद पीड़िता की दादी ने आकर उसे बचाया। लड़की के घरवालों ने जब एफआईआर दर्ज करवाने की कोशिश की तो आरोपी की तरफ के लोगों ने धमकियां दीं। इसके बाद भी कुछ दिन बाद एफआईआर दर्ज करवा दी गई।

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